India News (इंडिया न्यूज), Pakdaua Vivah: बिहार में पकड़ौआ विवाह का चलन अब भी बरकरार है। दहेज से बचने के लिए या लड़के वाले जब शादी के लिए राजी नहीं होते तो लड़की के परिवार वाले लड़के का अपहरण कर उसकी जबरन शादी करवा देते हैं। साल 2023 के दिसंबर में बिहार से एक पकड़ौआ विवाह का मामला सामने आया था। ज्यादा दिन नहीं हुए हैं कि एक और शख्स की जबरिया शादी करवाई गई है। दरअसल बिहार में एक और सरकारी शिक्षक का गुरुवार को कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया और उसे शादी के लिए मजबूर किया गया। इस विवाह का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
जमुई में मुकेश कुमार की कठिन परीक्षा साथी सरकारी शिक्षक गौतम कुमार के अपहरण और वैशाली जिले में शादी के ठीक एक महीने बाद हुई है। मुकेश की शादी का एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें वह शिकायत करते दिख रहे हैं कि बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करने के बाद जब से उन्हें शिक्षण की नौकरी मिली, दुल्हन पूर्णिमा कुमारी ने उनका “पीछा” करना शुरू कर दिया। वह कहते हैं, “मैं खुश नहीं हूं। अगर आप मुझे शादी के लिए मजबूर करेंगे तो भी मैं उसके साथ नहीं रहूंगा।”
पूर्णिमा ने मुकेश के दावों का खंडन किया, उन्होंने दावा किया कि वे 2015 से रिश्ते में थे। उन्होंने कहा, “नौकरी मिलने के बाद, उसका व्यवहार बदल गया। उसने मुझे नजरअंदाज करना शुरू कर दिया।”
जिससे हाल के महीनों में ऐसे “पकड़ुआ विवाह (जबरन शादी)” का सिलसिला बढ़ गया है, जिसमें सरकारी नौकरी वाले युवा आसान निशाना बन गए हैं। गिद्धौर थानेदार ब्रज भूषण सिंह ने किसी तरह की शिकायत मिलने से इनकार किया है। सिंह ने कहा, “मैंने लड़की के पिता को फोन किया, उन्होंने कहा कि वे दूल्हे के माता-पिता के साथ बातचीत के बाद इसे सुलझा लेंगे।” पिछले साल से बिहार में कम से कम आधा दर्जन ऐसी जबरन शादियों की खबरें आ चुकी हैं। मुकेश और गौतम के अलावा मोकामा के विनोद कुमार, बेगुसराय के सत्यन, लखीसराय के शुभम कुमार और वैशाली के अमित कुमार शामिल हैं। विनोद झारखंड के बोकारो स्टील प्लांट में इंजीनियर हैं, सत्यन पशु चिकित्सक हैं और शुभम सेना में क्लर्क हैं।
अमित फार्मेसी का छात्र है और संभवत: उसे इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उसके पास नौकरी की उज्ज्वल संभावनाएं हैं। दहेज की बढ़ती दरें एक सामान्य कारण है जिसे कई दुल्हनों के परिवारों ने ऐसे जबरन विवाह का सहारा लेने के कारणों के रूप में उद्धृत किया है।
हाल ही में पकड़ौआ विवाह से जुड़े एक केस पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने कहा था कि ”हिंदू कानून उन विवाहों को मान्यता नहीं देता है जिनमें किसी महिला के माथे पर जबरदस्ती सिन्दूर लगाया जाता है या जबरदस्ती लगाया जाता है। खबर एजेंसी की मानें तो ये फैसला जस्टिस पीबी बजंथरी और अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने सुनाया है।अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि जब तक हिंदू विवाह सहमति से नहीं होता है और इसमें ‘सप्तपदी’ की प्रथा शामिल नहीं होती है, जिसमें दूल्हा और दुल्हन को पवित्र अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेने होते हैं, तो यह विवाह अमान्य माना जाता है।
अदालत याचिकाकर्ता, रवि कांत के मामले पर सुनवाई कर रही थी। रवि कांत का दस साल से अधिक समय पहले बिहार के लखीसराय इलाके में अपहरण कर लिया गया था। जो कि वह उस समय सेना में सिग्नलमैन थे। इसके बाद बंदूक की नोक पर उन्हें दुल्हन के माथे पर सिन्दूर लगाने के लिए दबाव बनाया गया। पीठ ने 10 नवंबर को इस “जबरन” विवाह को रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा, “हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के अवलोकन से, यह स्पष्ट है कि जब सातवां कदम (दूल्हा और दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के चारों ओर) उठाया जाता है, तो विवाह पूर्ण और बाध्यकारी हो जाता है। इसके विपरीत, यदि ‘सप्तपदी’ पूरी नहीं हुई है, तो विवाह पूर्ण नहीं माना जाएगा। 30 जून 2013 को, रवि और उसके चाचा प्रार्थना करने के लिए लखीसराय के एक मंदिर में गए, जहां उनका अपहरण कर लिया गया, जिसके बाद उस दिन रवि पर “शादी” करने का दबाव बनाया गया।
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