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इंडिया न्यूज, पटना (PM Modi) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में भाग लेने मंगलवार शाम को पहुंचे। उन्होंने शताब्दी स्मृति स्तंभ का उद्घाटन किया। यह स्मृति चिह्न बिहार के प्रतीक चिह्न के रूप में विधानसभा परिसर में लगाया गया है। इसके बाद पीएम ने विधानसभा में बने संग्रहालय भवन और अतिथिशाला का शिलान्यास किया।
इस कार्यक्रम के दौरान बिहार के स्वर्णिम 100 साल की लघु फिल्म भी दिखाई गई। इसमें स्मृति स्तंभ के बारे में विस्तार से बताया गया। इससे पहले उन्होंने परिसर में कल्पतरू का पौधा लगाया। राज्यपाल फगू चौहान, सीएम नीतीश कुमार, विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा, सभापति अवधेश नारायण सिंह, शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने उन्हें पूरा परिसर घूमाकर भवन के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजादी के बाद के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो बिहार विधानसभा परिसर में पहुंचें। इससे पहले 3 राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल और रामनाथ कोविंद यहां आ चुके हैं।
सभा को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि शताब्दी स्मृति स्तंभ बिहार के गौरवशाली अतीत का प्रतीक तो बनेगा ही, साथ ही ये बिहार की कोटि-कोटि आकांक्षाओं को भी प्रेरणा देगा। बिहार का ये स्वभाव है कि जो बिहार से स्नेह करता है, बिहार उसे वो प्यार कई गुना करके लौटाता है। आज मुझे बिहार विधानसभा परिसर में आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होने का सौभाग्य भी मिला है।
मैं इस स्नेह के लिए बिहार के जन-जन को हृदय से नमन करता हूं। आजादी के बाद इसी विधानसभा में जमींदारी उन्मूलन अधिनियम पास हुआ था। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, नीतीश जी की सरकार ने बिहार पंचायती राज जैसे अधिनियम को पास किया। इस अधिनियम के जरिए बिहार पहला ऐसा राज्य बना जिसने पंचायती राज में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया।
उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक, बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं। आजादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा जी ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है जितना प्राचीन ये राष्ट्र है, जितनी प्राचीन हमारी संस्कृति है।
स्मृति स्तंभ के उद्घाटन के बाद सभा का आयोजन किया गया। शुरूआत स्पीकर विजय सिन्हा के भाषण से हुई। इसमें उन्होंने विधानसभा की उपलब्धि का जिक्र किया। इसके बाद भाषण देने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को बुलाया गया। इसमें उन्होंने स्कूल आॅफ डेमोक्रेसी की मांग की। बीच भाषण में वह बार-बार अटकते दिखे। इससे उनके चेहरे पर तनाव भी साफ झलका। उन्होंने मंच से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग भी कर दी। 4 मिनट के भाषण में वह करीब 5 बार अटके।
सभा को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री उपस्थित हुए हैं तो हम सब उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। ये पहली बार हुआ है कि बिहार विधानसभा के परिसर में कोई प्रधानमंत्री आए हैं। ये कोई मामूली बात नहीं है।
झारखंड के देवघर में एयरपोर्ट का उद्घाटन और बाबा मंदिर में पूजा करने के बाद पीएम मोदी शाम 5.35 पर विशेष विमान से पटना एयरपोर्ट पहुंचे। सीएम नीतीश कुमार और मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। वहां लोगों के अभिवादन के साथ-साथ कुछ देर के लिए सीएम नीतीश कुमार सहित मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ बातचीत की। फिर विधानसभा के लिए निकल गए।
बिहार विधान सभा के मुख्य गेट सामने यह शताब्दी स्मृति स्तंभ लगा है। इसमें पीपल के पेड़ 15 फीट का होगा, चौड़ाई 25 फीट होगी। इसके लिए पैडस्टल यानी बेस 35 फीट का बनाया गया है। कुल मिलाकर यह स्तंभ 60 फीट ऊंचा है। बिहार के ‘लोगो’ से लिए गए इस पीपल के पेड़ में 243 पत्ते हैं, जो बिहार विधानसभा के पक्ष-विपक्ष मिलाकर 243 सदस्यों का प्रतीक है।
बिहार ‘लोगो’ का पेड़, महाबोधि वृक्ष है। पैडस्टल पिंक स्टोन है। पूरा शताब्दी पेड़ ब्रॉन्ज का तैयार किया गया है। इसके चारों ओर ब्रॉन्ज के चार स्वास्तिक चिह्न हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इसके डिजाइन वाले मॉडल का लोकार्पण किया था। इसे मूर्तिकार अमृत प्रकाश साह और जीतू ने तैयार किया है। अमृत प्रकाश पटना आर्ट कॉलेज के पासआउट हैं और साहेबगंज के रहने वाले हैं।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर पटना पुलिस की ओर से सख्त और कड़े व्यवस्था किए गए हैं। पटना एयरपोर्ट से लेकर विधानसभा जाने वाला रास्ता हो या फिर समारोह स्थल या इसके चारों तरफ के आसपास का एरिया। हर जगह कड़ी सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं। इसके लिए 250 मजिस्ट्रेट, 250 पुलिस अफसर और 1 हजार जवानों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही शहर के 10 रुट शाम 4 बजे से बंद कर दिए गए हैं ताकि सुरक्षा व्यवस्था में असुरक्षा की कोई गुंजाइश न रह जाए।
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