India News Bihar (इंडिया न्यूज), Ravi Shankar Prasad: हाल ही में भारत में लेटरल एंट्री के तहत 45 पदों की भर्ती को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। केंद्र सरकार ने 20 अगस्त को यूपीएससी को इस भर्ती विज्ञापन को वापस लेने का आदेश दिया। इस मुद्दे पर बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को कुछ हद तक क्रेडिट मिल रहा है, क्योंकि उन्होंने आरक्षण के प्रावधानों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था। उनके समर्थन में आरजेडी के सांसद मनोज झा ने भी सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव की प्रशंसा की और इसे संविधान की विजय बताया।
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए तेजस्वी यादव को घेरा। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को उनके पिता और कांग्रेस के नेताओं की उदाहरणों को ध्यान में रखना चाहिए। प्रसाद ने उदाहरण दिया कि मनमोहन सिंह के समय में भी कई प्रमुख पदों पर बाहरी लोगों की नियुक्तियां हुई थीं, जैसे कि विजय केलकर और मोंटेक सिंह अहलूवालिया।
उनका आरोप है कि तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी को आरक्षण की राजनीति में गहरी जानकारी नहीं है, और उनकी पार्टी के परिवार ने आरक्षण का फायदा उठाया है।
प्रसाद ने यह भी दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछड़ों के अधिकारों की रक्षा की है और सुप्रीम कोर्ट के क्रीमी लेयर पर फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि सरकार ने यूपीएससी की गलत फैसलों को सही किया और संविधान की रक्षा की है।
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