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India News Bihar(इंडिया न्यूज़), Samrat Choudhary: बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सोमवार (30 सितंबर) को दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारतीय क्षेत्र में कोसी नदी पर उच्च क्षमता वाले बैराज के निर्माण की मांग की। उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री को एक पत्र भी सौंपा।
पत्र में लिखा है कि ‘बिहार का शोक’ के नाम से मशहूर कोसी नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने वर्ष 1955 में इस नदी के तटबंधों को मजबूत करने का काम शुरू किया था, जिसमें नेपाल के भीमनगर से बैराज के निर्माण के साथ तटबंध और नहरों का निर्माण भी किया गया था। भारत-नेपाल सीमा पर बने इस बांध पर पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए कुल 56 गेट बनाए गए हैं।
निर्माण के समय इस बांध में पानी के प्रवाह की क्षमता 9.25 लाख क्यूबिक फीट प्रति सेकंड आंकी गई थी, इसकी आयु 25 वर्ष आंकी गई थी। वर्ष 1962 में चालू हुए इस बांध की आयु आज 62 वर्ष है। इसमें गाद जमा होने से जलस्तर बढ़ता है और बांध के टूटने का भी खतरा बना रहता है। अब तक यह बांध सात बार टूट चुका है, जिसके कारण लाखों लोगों को विस्थापन और बाढ़ का सामना करना पड़ा है।
उन्होंने पत्र में आगे लिखा है कि इस वर्ष नेपाल के रास्ते बांध से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण जलस्तर काफी बढ़ गया है। पानी का बहाव अपनी अधिकतम क्षमता तक होने के कारण बिहार के कई हिस्सों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। बिहारवासियों में दहशत का माहौल है। लोगों को अपनी जान, मवेशी, मकान और संपत्ति खोने का डर सता रहा है। राज्य सरकार अपने अधिकारियों और कुशल इंजीनियरों की मदद से संभावित बाढ़ के खतरे को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन लोगों के मन में अभी भी डर का माहौल बना हुआ है।
सम्राट चौधरी ने कहा कि ऐसी स्थिति में भारतीय सीमा में आज की स्थिति के अनुसार कोसी नदी पर नये बांध (बैराज) के निर्माण की आवश्यकता है, जिससे न केवल बाढ़ की समस्या का समाधान होगा, बल्कि विद्युत उत्पादन, मत्स्य पालन, सिंचाई एवं पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने राज्य एवं जनहित में भारतीय क्षेत्र में कोसी नदी पर उच्च क्षमता वाले बैराज के निर्माण की दिशा में आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
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