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India News (इंडिया न्यूज़), Javed Akhtar Got Angry on ISRO Scientist Prayer To God: 79 साल के जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने हिंदी सिनेमा में अपनी खासी पहचान बनाई हुई है। ‘शोले’ और ‘दीवार’ जैसी कई फिल्मों के साथ ही उन्होंने कई ऐसे गानों के बोल लिखे हैं, जिन्हें लोग आज भी गुनगुनाना पसंद करते हैं। जावेद अख्तर को करीब से जानने वाले यह बात अच्छे से जानते हैं कि वो नास्तिक हैं। लेकिन ऐसा क्यों है? हाल ही में उन्होंने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि उनमें सोचने की क्षमता है। उन्होंने हाल ही में बताया कि कैसे वह धार्मिक विचारधारा से बच निकले।
जावेद अख्तर अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में एक कार्यक्रम में उन्होंने एक बार फिर धर्म को लेकर बात की, जिस वजह से वो खबरों में आ गए हैं। उनका मानना है कि 20वीं और 21वीं सदी के लोगों का व्यक्तित्व अलग-अलग होता है।
इस कार्यक्रम में उनसे पूछा गया कि उनमें धार्मिक भावनाएं क्यों नहीं हैं? वो धार्मिक विचारधारा से कैसे बच गए? इस पर जावेद अख्तर ने जवाब दिया, “हमारे पास तर्क है, लॉजिक है लेकिन उस समय हमारे दिमाग का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है। जब हम बच्चे थे, तो हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था।” जावेद अख्तर ने आगे कहा कि समाज के नियमों के खिलाफ जाने वालों को उनकी वैज्ञानिक सोच की वजह से सजा मिलती है। उन्होंने एक उदाहरण के साथ समझाया, “20वीं और 21वीं सदी सिज़ोफ्रेनिया का समय है। लोगों के व्यक्तित्व अलग-अलग होते हैं।”
जावेद साहब ने चांद का उदाहरण देकर अपनी बात को और स्पष्ट किया और कहा, “भारत में इसरो वाला चांद के एक हिस्से में रॉकेट भेज सकता है, लेकिन चांद पर चंद्रलोक है, देवी-देवता रहते हैं, आप वहां रॉकेट भेज रहे हैं और जैसे ही वो वहां पहुंचता है, आप मंदिर चले जाते हैं। यह सिजोफ्रेनिया है। मानव इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि आपका ज्ञान और जानकारी और आपकी धार्मिक सोच मेल नहीं खा रही है।”
इसके बाद जावेद अख्तर ने कहा कि सभी धर्म ‘अंधकार युग’ में हैं। उन्होंने कहा, “ये सभी धर्म, बिना किसी अपवाद के, अंधकार युग से हैं। इनकी जड़ें अंधकार युग से जुड़ी हुई हैं।” उन्होंने कहा कि लोगों की नाभि-रज्जु अंधकार युग से नहीं कटी है।
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