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कार्टूनिस्ट से लेकर सियासत में लंबी रेखा, यहां जानें बाल ठाकरे की जयंती पर कई विशेष बातें

BY: Divyanshi Singh • LAST UPDATED : January 23, 2025, 11:27 pm IST
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कार्टूनिस्ट से लेकर सियासत में लंबी रेखा, यहां जानें बाल ठाकरे की जयंती पर कई विशेष बातें

India News (इंडिया न्यूज), Balasaheb Thackeray Birth Anniversary: अपने बेबाक बयानों से सुर्खियाँ बटोरने वाले बाल ठाकरे को लोग प्यार से बाला साहब कहते थे। बाल ठाकरे का नाम भारतीय राजनीति में एक ऐसी शख्सियत के रूप में जाना जाता है जिन्होंने अपनी विशिष्ट शैली और बेजोड़ विचारों से राजनीति में लंबी रेखा खींची। वे केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक कार्टूनिस्ट, लेखक और समाजसेवी भी थे, जिन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति को एक नई दिशा दी। उनकी जयंती पर, हम उनके जीवन और कार्यों को नज़दीकी से समझने की कोशिश करेंगे।

बता दें कि बाल ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे में हुआ था। उनके पिता के नाम ‘प्रभाकर ठाकरे’ थे और उनका परिवार मराठी संस्कृति और राजनीति के प्रति समर्पित था। बाल ठाकरे का प्रारंभिक शिक्षा जीवन पुणे में ही बीता, लेकिन उनकी सृजनात्मकता की ओर झुकाव उन्हें जल्दी ही मुंबई ले आया। यहां उन्होंने अपना करियर कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया।

कार्टूनिस्ट के रूप में योगदान अद्वितीय

बाल ठाकरे का कार्टूनिस्ट के रूप में योगदान अद्वितीय था। उनकी रचनाओं में सियासी कटाक्ष और समाजिक समस्याओं का बखूबी चित्रण होता था। उनके कार्टून न केवल जनमानस को आकर्षित करते थे, बल्कि उनकी तीखी टिप्पणियाँ और व्यंग्य ने राजनीति और समाज में गंभीर सवाल भी उठाए। ठाकरे के कार्टूनों में उनकी रचनात्मकता और उनकी त्वरित सोच की झलक मिलती थी। वे अक्सर अपनी रचनाओं के माध्यम से सत्ता, भ्रष्टाचार और समाज की विभिन्न समस्याओं पर प्रहार करते थे। यही कारण था कि उनका कार्टून ‘मटी’ अखबार में नियमित रूप से प्रकाशित होता था, जिससे वे न केवल मराठी भाषी लोगों में प्रसिद्ध हुए, बल्कि पूरे देश में उनके काम को सराहा गया।

महाराष्ट्र में एक नई राजनीतिक धारा की शुरुआत की

बाल ठाकरे का सबसे महत्वपूर्ण योगदान राजनीति में था। 1966 में शिव सेना की स्थापना के बाद, उन्होंने महाराष्ट्र में एक नई राजनीतिक धारा की शुरुआत की। ठाकरे का नेतृत्व उन लोगों के लिए एक मजबूत आवाज बनकर उभरा जो मराठी माणूस की पहचान की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे थे। उनका प्रमुख एजेंडा था, मराठी संस्कृति और मराठी हितों को प्राथमिकता देना। उन्होंने मुंबई में बाहरी लोगों के प्रभाव को लेकर कई आंदोलन चलाए और अपनी पार्टी के जरिए स्थानीय लोगों के हक में काम किया।

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हालांकि, उनकी राजनीति में विवाद भी रहे। कई बार उनके निर्णय और बयान समाज के विभिन्न वर्गों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुए। फिर भी, उनका असर और उनकी सोच हमेशा लोगों में एक अलग प्रकार की जागरूकता पैदा करती थी। बाल ठाकरे ने यह साबित किया कि सियासत केवल चुनाव जीतने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक संघर्ष है, जिसमें समाज के हितों की रक्षा की जाती है।

उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपनी कला और राजनीति के माध्यम से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई। बाल ठाकरे की शख्सियत को केवल उनकी राजनीति से ही नहीं, बल्कि उनके कार्टूनों, उनके विचारों और उनके समाज सेवा के दृष्टिकोण से भी याद किया जाएगा। उनकी विरासत आज भी महाराष्ट्र की राजनीति में जीवित है।

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Balasaheb Thackeray Birth Anniversary

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