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जब हनुमान जी के पसीना ने ले लिया था एक शक्तिशाली मछली का रूप, फिर उससे कैसे जन्मा मकरध्वज और कहलाया हनुमान पुत्र?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : January 6, 2025, 8:00 pm IST
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जब हनुमान जी के पसीना ने ले लिया था एक शक्तिशाली मछली का रूप, फिर उससे कैसे जन्मा मकरध्वज और कहलाया हनुमान पुत्र?

The Story Of Hanuman Putra: जब हनुमान जी के पसीना ने ले लिया था एक शक्तिशाली मछली का रूप

India News (इंडिया न्यूज), The Story Of Hanuman Putra: भारतीय पौराणिक कथाओं में हनुमान जी को अनगिनत चमत्कारों और शक्तियों का स्रोत माना जाता है। उनकी हर कथा अपने आप में एक प्रेरणा और रहस्य का खजाना है। एक ऐसी ही अनूठी कथा है मकरध्वज के जन्म की, जिसे हनुमान जी का पुत्र भी कहा जाता है। आइए इस अद्भुत कहानी को विस्तार से समझते हैं।

मकरध्वज का जन्म

लंका दहन के दौरान, जब हनुमान जी ने अपनी पूंछ में आग लगाकर पूरी लंका को जलाने का कार्य किया, तो इस प्रक्रिया में उनकी देह से पसीना बह निकला। हनुमान जी ने इसे महत्व नहीं दिया और अपनी दिव्य शक्ति से लंका को नष्ट करने में व्यस्त रहे।

किंतु पौराणिक कथाओं के अनुसार, उनके पसीने की एक बूंद समुद्र में गिर गई। उस पसीने की बूंद को एक दिव्य मछली ने निगल लिया। इस मछली ने हनुमान जी के तेज और शक्ति से संतान को जन्म दिया, जिसे मकरध्वज नाम दिया गया।

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मकरध्वज का नाम और विशेषता

मकरध्वज नाम इसलिए पड़ा क्योंकि “मकर” का अर्थ मछली है, और यह मछली के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। मकरध्वज को असाधारण बल और हनुमान जी के जैसे ही अद्भुत गुण प्राप्त हुए।

पाताल लोक में मकरध्वज की भूमिका

जब रावण के भाई अहिरावण ने राम और लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया, तब हनुमान जी उन्हें बचाने के लिए पाताल लोक पहुंचे। वहां मकरध्वज द्वारपाल के रूप में तैनात था। यह जानकर कि हनुमान जी उनके पिता हैं, मकरध्वज ने अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा दिखाते हुए उनका सामना किया। पिता-पुत्र के बीच हुए इस युद्ध में हनुमान जी ने मकरध्वज को परास्त कर दिया, लेकिन उसकी वीरता और निष्ठा से प्रसन्न होकर उसे पाताल लोक का राजा बना दिया।

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मकरध्वज की कथा का महत्व

इस कथा के कई आध्यात्मिक और नैतिक संदेश हैं:

  1. कर्तव्य और निष्ठा का पालन: मकरध्वज ने अपने पिता के प्रति सम्मान दिखाने के बावजूद अपने कर्तव्य का पालन किया।
  2. अद्वितीय संबंध: यह कहानी हनुमान जी की महिमा और उनके तेज को दर्शाती है, जो उनके पसीने से भी जीवन उत्पन्न कर सकता है।
  3. त्याग और समर्पण: हनुमान जी ने मकरध्वज की वीरता को पहचाना और उसे उचित स्थान प्रदान किया।

मकरध्वज की कथा हमें यह सिखाती है कि जीवन में कर्तव्य और निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण हैं। साथ ही, यह कहानी हनुमान जी की शक्ति और उनके प्रति हमारी श्रद्धा को और भी बढ़ाती है। भारतीय पौराणिक कथाओं में ऐसी अनगिनत कहानियां छिपी हैं, जो हमें जीवन जीने की सही दिशा दिखाती हैं।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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