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India News (इंडिया न्यूज), CM Sukhvinder Singh Sukhu: हिमाचल प्रदेश में समोसा कांड के बाद अब जंगली मुर्गे पर विवाद शुरू हो गया है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के डिनर कार्यक्रम में जंगली मुर्गे का मीट परोसे जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। शिमला जिले के कुपवी क्षेत्र में आयोजित इस डिनर में कुछ अधिकारियों और मंत्रीगण के सामने जंगली मुर्गे का मांस परोसा गया, हालांकि, मुख्यमंत्री ने इसे नहीं खाया। लेकिन इस घटना के बाद इस पर विवाद गहरा गया है, क्योंकि जंगली मुर्गे का शिकार करना भारतीय वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 के तहत अपराध है।
भारत सरकार ने वर्ष 1972 में वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया था, जिसके तहत जंगली जानवरों को शिकार करने पर प्रतिबंध लगाया गया है और उनके संरक्षण की जिम्मेदारी राज्य की है। इस एक्ट के तहत कुछ विशेष प्रजातियों को संरक्षित किया गया है, जिनमें जंगली मुर्गा भी शामिल है। यदि कोई व्यक्ति इन प्रजातियों का शिकार करता है तो उसे तीन से सात साल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में जंगली मुर्गे की सभी प्रजातियां वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 और इसके 2022 में किए गए संशोधन के तहत शेड्यूल-1 में रखी जाती हैं। शेड्यूल-1 में उन प्रजातियों को रखा जाता है, जिन्हें बेहद संकटपूर्ण स्थिति में माना जाता है और उनका शिकार अपराध है।
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सीएम सुक्खू के डिनर कार्यक्रम की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसमें वह अन्य लोगों को जंगली मुर्गे का मीट खाने के लिए प्रेरित करते नजर आ रहे हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री खुद इसे नहीं खाते, लेकिन वह कहते हुए दिखाई देते हैं, “जंगली मुर्गा कैसे मारा गया?” इसके बाद वह अन्य अधिकारियों से पूछते हैं कि वे मीट लेंगे या नहीं। इस वीडियो में स्वास्थ्य मंत्री भी मौजूद हैं, लेकिन वह जंगली मुर्गे का मीट खाने से मना कर देते हैं।
वहीं, इस पूरे मामले पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने सीएम सुक्खू पर निशाना साधा है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और सोशल मीडिया विभाग के प्रभारी चेतन ब्रागटा ने कहा कि यह घटना पूरी तरह से गैरकानूनी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री को सरकारी मेन्यू से जंगली मुर्गा परोसा गया, जो शेड्यूल्ड बर्ड श्रेणी में आता है और इसे मारना या खाना कानूनी तौर पर अपराध है। ब्रागटा ने कहा, “मुख्यमंत्री का वीडियो साफ-साफ दिखाता है कि वह न सिर्फ जंगली मुर्गा खाने के लिए अधिकारियों को प्रेरित कर रहे हैं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि यह पूरी तरह से असंवैधानिक और गैरकानूनी कृत्य था।”
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जंगली मुर्गा, जिसे “वाइल्ड फोवेल” भी कहा जाता है, संरक्षित प्रजातियों में आता है और इसका शिकार भारतीय कानूनों के तहत प्रतिबंधित है। इस परोसने की घटना के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या मुख्यमंत्री और उनके साथियों को इस तथ्य की जानकारी थी कि वे एक संरक्षित प्रजाति का मांस खा रहे थे या नहीं।
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