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India News (इंडिया न्यूज),President Donald Trump:राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी शासन वाले छोटे देशों में चीन के विस्तारवाद पर लगाम लगाना चाहते हैं, रूस पर यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने का दबाव बना रहे हैं, इजरायल-हमास शांति वार्ता को अंजाम तक पहुंचाना चाहते हैं, अमेरिका को दुनिया का सबसे बेहतरीन राष्ट्र बनाना चाहते हैं, कनाडा से लेकर पनामा नहर तक सब कुछ अमेरिकी सरकार अपने नियंत्रण में लेना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि तीसरा विश्व युद्ध न हो ताकि दुनिया में शांति स्थापित हो सके। अब उन्होंने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दी है, तो इसका नतीजा क्या होगा, इस पर पूरी दुनिया की नजर है।
सवाल ये है कि डोनाल्ड ट्रंप अपने सभी मिशन में कैसे और कब सफलता हासिल कर पाएंगे। अहम बात यह भी हो जाती है कि जब ट्रंप अपने मिशन में आगे बढ़ेंगे, तो क्या उनके सामने सफलता का कोई मैदान होगा? पुतिन से लेकर जिनपिंग तक की चुनौतियों से वे कैसे निपटेंगे? यह जानते हुए भी कि जिनपिंग और पुतिन उनके खिलाफ करीब आ चुके हैं। पुतिन उनकी धमकियों को कितनी आसानी से स्वीकार करेंगे और चीन खुद को रूस का साथ देने से कैसे रोक पाएगा?
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने के बाद कई बड़े ऐलान किए। इन ऐलानों में हर अमेरिकी से नव-राष्ट्रवादी बनने की अपील की गई, साथ ही दुनिया में फिर से अपना दबदबा कायम करने की हुंकार भरी। ट्रंप ने पद संभालते ही यूक्रेन में युद्ध को लेकर दो बड़े ऐलान किए। पहला ऐलान था- वे 100 दिन में रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की योजना पर काम करेंगे। ट्रंप ने कहा कि वे इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने की योजना बना रहे हैं। इस ऐलान से साफ था कि वे जो बाइडेन के मुकाबले पुतिन के खिलाफ युद्ध की आक्रामकता को कम करना चाहते हैं, साथ ही यूक्रेन को जारी मदद में भी कटौती करना चाहते हैं।
हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने के चार दिन बाद भी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। दोनों देशों के बीच हमले लगातार जारी हैं। रूसी सेना लगातार लंबी दूरी के घातक हथियारों से कीव में प्रमुख ठिकानों पर हमला कर रही है और तेल डिपो, हथियार डिपो और फैक्ट्रियों को नष्ट कर रही है। रूसी सेना के हमले का जवाब देने में यूक्रेनी सेना भी पीछे नहीं है। यूक्रेन लगातार रूसी हवाई रक्षा को नष्ट कर रहा है और रूसी सेना को निशाना बना रहा है। यूक्रेन का कहना है कि उसका अभियान रूसी हमलों को रोकना है। पिछले हफ़्ते यूक्रेन को कई सफलताएँ भी मिलीं। 16 जनवरी को यूक्रेन के तीन ड्रोन ने रूसी क्षेत्र वोरोनिश में स्थित लिस्किन्स्काया तेल डिपो पर हमला किया, जिससे आग लग गई। तेल डिपो नष्ट हो गया। यूक्रेन का कहना था कि यह तेल डिपो रूसी सेना को ईंधन मुहैया कराता है। पुतिन की शर्तें नहीं सुनना चाहते ट्रंप पूरे मामले में ट्रंप के विशेष दूत रिटायर्ड अमेरिकी जनरल कीथ केलॉग ने युद्ध विराम के लिए 100 दिन की योजना तैयार की है। वहीं, ट्रंप की शपथ के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सुरक्षा परिषद की बैठक की और युद्ध खत्म करने पर आगे की बातचीत पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि अगर युद्ध के मूल कारणों को दूर किया जाए तो समाधान निकल सकता है। यानी पुतिन शर्तों के साथ बातचीत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन उन्होंने यह खुलासा नहीं किया है कि उनकी शर्तें क्या होंगी। ऐसे में पुतिन से स्पष्ट हरी झंडी न मिलने के बाद ट्रंप धमकी और चेतावनी के मूड में आ गए हैं।
ट्रंप ने पहले धमकी दी थी कि अगर मॉस्को युद्ध खत्म करने के लिए किसी डील पर सहमत नहीं होता है तो वह अमेरिका और दूसरे साझेदार देशों को बेचे जाने वाले किसी भी रूसी उत्पाद पर उच्च स्तरीय टैरिफ और प्रतिबंध लगा देंगे। पुतिन पर लगाम लगाने के लिए अब उन्होंने यह भी कहा कि तेल की कीमत कम करके रूस को रोका जा सकता है। साथ ही उन्होंने पुतिन से साफ कहा कि अब शांत हो जाएं और इस बेमतलब युद्ध को रोकें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह युद्ध और भी भयंकर और बदतर हो जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर यूक्रेन के खिलाफ रूस का समर्थन करने का आरोप भी लगाया और उनसे युद्ध खत्म करने के लिए आगे आने की अपील भी की। हालांकि ट्रंप ने इस बात पर अफसोस जताया कि चीन ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की। दूसरी तरफ चीन पहले ही कह चुका है कि वह युद्ध में रूस का साथ नहीं दे रहा है। यानी चीन की तरफ से लगभग कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिल रहे हैं।
गौरतलब है कि 17 जनवरी को जिनपिंग और ट्रंप ने इस बारे में बात भी की थी। अमेरिका और यूक्रेन दोनों ने पहले भी चीन से रूस पर युद्ध खत्म करने के लिए दबाव बनाने को कहा था। लेकिन चीन इस मामले में टालमटोल करता रहा है। चीन बार-बार कहता है कि वह भविष्य में होने वाली बातचीत में रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता कर सकता है, लेकिन कभी ठोस रूप में सामने नहीं आया।
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