By: Sanjay Sharma
• LAST UPDATED : December 6, 2024, 5:12 pm ISTसंबंधित खबरें
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India News (इंडिया न्यूज),Devendra Fadnavis:’मेरे किनारे पर घर मत बना लेना,में समंदर हूं वापस लौट कर फिर आऊंगा’ 2019 में देवेन्द्र फडणवीस ने जो शब्द विधानसभा में कहे थे वह सच साबित हो गए तीसरी बार देवेन्द्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हैं। इसमें खास बात ये भी है की जीत प्रचंड बहुमत के साथ मिली है। जनता ने महाराष्ट्र में विपक्ष को बाहर का रास्ता ही नहीं दिखया बल्कि उसका पूरी तरह से सफाया कर दिया है। विपक्ष की हैसियत नेता विपक्ष बनाने की भी नहीं बची है बावजूद इसके देवेंद्र फडणवीस के सिर पर इस बार कांटो का ताज है।
कांटों का ताज इसलिए बोला जा रहा है क्योंकि इस बार विपक्ष तो हमलावर रहेगा हीं लेकिन इस बार असली चुनौती देवेन्द्र फडणवीस को बाहर से नहीं भीतर से मिलने वाली है। इसकी शुरुआत महायुति के गठन से पहले ही हो गई है। तो चलिए जानते हैं वो कौन सी मुश्किलें हैं जिसका सामना महाराष्ट्र के नए सीएम को करना पड़ सकता है।
एकनाथ शिंदे ने उप मुख्यमंत्री का पद भले ही स्वीकार कर लिया है लेकिन शिंदे को उनके पसंद के मंत्रालय नहीं मिले तो वह पहले दिन से ही देवेन्द्र फडणवीस पर हमलावर रहेंगे जहां मौका मिलेगा वहां मार करेंगे।विधानसभा चुनावों के बीच में एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि लाडली बहना योजना की राशि बढ़ाकर दुगुना कर दी जाए अब शिंदे इस बात का दबाव सरकार के भीतर और बाहर दोनो जगहों पर बनाएंगे।
वोट के लिहाज से लाडली बहना योजना कामयाब रही लेकिन असली चुनौती इसके लिए बजट जुटाने की है।महाराष्ट्र में लगभग एक करोड़ महिलाओं को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। चुनाव से पहले इसे 1500 से बढ़ाकर 2100 करने की घोषणा की गई थी जिसको बाद में और बढ़ाकर 3000 रुपए कर दिया गया। इस योजना की वजह से महाराष्ट्र सरकार की आर्थिक हालत पर खराब असर पड़ा है।इसके लिए फंड जुटाने की चुनौती बड़ी होगी।
देवेन्द्र फडणवीस के सामने तीसरी बड़ी चुनौती फिर से उठ रही मराठा आरक्षण आंदोलन को दबाने की होगी।इसके पहले एकनाथ शिंदे खुद मराठा सीएम थे उन्होंने जरांगे पाटिल को मना कर मराठा आरक्षण आंदोलन खत्म कराया था।पूरे चुनाव में मराठा आरक्षण आंदोलन का मुद्दा तक नहीं बन पाया था लेकिन अब एकनाथ शिंदे खुद इस मराठा आरक्षण आंदोलन को हवा दे सकते है।
महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने अजीत पवार आज तो देवेन्द्र फडणवीस के साथ खड़े है लेकिन वह कब तक साथ रहेंगे कोई नहीं जानता। अजीत पवार ने अपने सगे चाचा और बहन को नहीं छोड़ा तो देवेन्द्र फडणवीस को कैसे बख्श देंगे।अजीत पवार को वित्त मंत्रालय नहीं दिया तो देवेन्द्र फडणवीस के खिलाफ एकनाथ शिंदे और अजीत पवार दोनो हाथ मिला सकते है।इन दोनो को साधने की बड़ी चुनौती है फडणवीस के सामने है।
महाराष्ट्र के नतीजे जिस दिन से आए है उसी दिन से महा विकास आघाड़ी के तीनों दलों के नेताओ ने हार मानने कि बजाए ईवीएम पर निशाना बना रखा है। विपक्ष आगे भी देवेन्द्र फड़वनिस पर विपक्ष हमलावर रहेगा। इसमें महायुति के दोनो नेता एकनाथ शिंदे और अजीत पवार का भी साथ मिल सकता है। इसके अलावा किसानों के मुद्दे,युवाओं की बेरोजगारी के मुद्दों पर भी देवेन्द्र फडणवीस हमेशा घिरे रहेंगे।ओबीसी आरक्षण की मांग भी समय समय पर उठती रही है।
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