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आने वाले फाइनेंशियल ईयर में केंद्र सरकार जो कमाई और खर्च का अनुमान बताती है उसे बजट ऐस्टीमेट कहते हैं।
अगर सरकार की कमाई के मुताबिक खर्चा ज्यादा हो तो इसका मतलब है कि सरकार घाटे में है यानी फिजिकल डिफिसिट कहते हैं।
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रिवाइज्ड ऐस्टीमेट पिछले फाइनेंशियल ईयर में सरकार ने कमाया खर्चों का जो अनुमान लगाया था उसमें बदलाव पेश किए जाते हैं जिसे डिवाइस एस्टीमेट कहा जाता है।
केंद्र सरकार ने बीते 2 सालों में वास्तव में जितना कमाया है और जितना खर्च किया है उसे असल एक्चुअल कहा जाता है
केंद्र बजट पेश होने के बाद संसद में आमतौर पर सरकार फाइनेंस बिल पेश करती है इसमें सरकार की कमाई का बौरा दिखाया जाता है।
फाइनेंस बिल के साथ ही एप्रोप्रिएशन बिल की पेश किया जाता है। इस बिल में केंद्र सरकार खर्च से जुड़े सारी जानकारी देती है।
अगर सरकार की कमाई ज्यादा हो रही हो और खर्च कम तो, इसका मतलब है कि सरकार फायदे में है। इसे फिज्कल सरप्लस कहते हैं।
टैक्स दो तरह से होता है। डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स, डायरेक्ट टैक्स उसे कहते हैं जो सरकार आम आदमी से वसूलती हैं। और वही इनडायरेक्ट टैक्स में आम आदमी से इनडायरेक्ट लिया जाता है जिसमें सर्विस टैक्स, कस्टम ड्यूटी यह सब शामिल है।
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आपकी कमाई पर लगने वाले टैक्स को इनकम टैक्स कहते हैं आसान भाषा में समझे तो जिस भी जगह से आपको आमदनी मिलती है उसे पर ब्याज मिल रहा है तो उसे पर इनकम टैक्स भी देना होगा अगर वह डायरे में है।
कंपनियां या फॉर्म अपनी कमाई पर सरकार को टैक्स देती है जिसे कॉरपोरेट टैक्स कहते हैं।
ऐसा सामान जो दूसरे देश से आ रहा हो या दूसरे देश में भेजा जा रहा हो उसे पर टैक्स लगाया जाता है। जिसे कस्टम ड्यूटी कहते हैं
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देश चलाने के लिए सरकार जो भी खर्च करती है उसे रेवेन्यू एक्सपेंडिचर कहते हैं। सरकार इसका इस्तेमाल कर देने, सैलरी देने, और बाकी राज्यों को ग्रांट देने में करती है।
जब किसी शेयर बाजार में 1 साल से कम में पैसा लगाकर उसका मुनाफा कमाया जाता है तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन कहा जाता है।
वही शेयर बाजार में एक साल से ज्यादा पैसा लगाने पर उसपर मुनाफा कमाया जाता हैं तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेम कहा जाता है।
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