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बिजनेस डेस्क/नई दिल्ली (Business Learning: The prices of such stocks increase several times from their initial investment values) : बिजनेस लर्निंग सीरीज में आज हम आपको बताएंगे कि निवेशक स्टॉक मार्केट में मल्टीबैगर स्टॉक के पीछे क्यों भागते हैं और आखिरकार यह मल्टीबैगर स्टॉक होते क्या हैं और इन स्टॉक को पहचाननें की क्या प्रक्रिया है ? प्रसिद्ध निवेशक पीटर लिंच सबसे पहले ‘मल्टीबैगर’ शब्द का इस्तेमाल किया था।
मल्टीबैगर स्टॉक उस स्टॉक को कहते हैं जो अपनी लागत से कई गुना ज्यादा रिटर्न देते हैं। सामान्य तौर पर ऐसे स्टॉक अंडरवैल्यूड स्टॉक होते हैं लेकिन इनके फंडामेंटल काफी मजबूत होते हैं। मल्टीबैगर स्टॉक वाली कंपनियों कि कॉरपोरेट गवर्नेंस मजबूत होती हैं जिनके पास ऐसे व्यवसाय हैं जो थोड़े समय के भीतर स्केलेबल होते हैं। मल्टीबैगर शेयरों में निवेश को कम से कम समय के लिए रखा जाना चाहिए, ताकि बाजार में बेचे जाने वाले अंतिम उत्पादों के लिए धन के कारोबार के माध्यम से व्यापक पूंजीगत लाभ सुनिश्चित किया जा सके।
उदाहरण के तौर पर वैसे स्टॉक जो खरीदी हुई कीमत को दोगुना कर देता हैं उसे टू-बैगर कहा जाता है। कीमतें 10 गुना बढ़ने पर इसे 10-बैगर स्टॉक कहा जाता है। इसी प्रकार, मल्टीबैगर वे स्टॉक होते हैं जिनकी कीमतें उनके शुरुआती निवेश मूल्यों से कई गुना बढ़ जाती हैं।
शेयर बाजार में मल्टीबैगर स्टॉक पहचाननें का कोई ऐसा तय फॉर्मूला तो नहीं है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रख कर आप ऐसे स्टॉक की पहचान जरूर कर सकते हैं। मल्टीबैगर स्टॉक की पहचान करने के लिए आप यह जरूर ध्यान में रखे की उस कंपनी का ऋण स्तर उचित सीमा के भीतर हो।
दूसरा आप उस कंपनी की तिमाही-दर-तिमाही के आधार पर कंपनी के राजस्व गुणों पर नज़र रख सकते है। ऐसे स्टॉक को चुनने के लिए कंपनी के कमाई के स्रोतों को जानना जरूरी है जिनसे कंपनी पैसा कमा रही है।
ज्यादातर शेयर मार्केट एक्सपर्ट मल्टीबैगर स्टॉक की पहचान करने के लिए मौजूदा पीई और मूल्य/बिक्री अनुपात पर पहुंचने के लिए पिछले 12 महीने के ईपीएस और राजस्व की गणना करने की सुझाव देते हैं। यदि पीई स्तर शेयर की कीमत से अधिक तेजी से बढ़ रहा है, तो इसके मल्टीबैगर होने की संभावना ज्यादा है।
इसके अलावा आप उस कंपनी का बिजनेस मॉडल/कैपेक्स/संरचनात्मक/प्रबंधन परिवर्तन पर भी नजर रख कर आप ऐसे स्टॉक की पहचान कर सकते हैं।
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