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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अब भारतीय कमोडिटी डेरिवेटिव पर भी कारोबार कर सकेंगे। इससे बाजार का दायरा तो बढ़ेगा ही, साथ ही लिक्विडिटी बढ़ने में भी मदद मिलेगी। दरअसल, मार्केट रेग्यूलेटर सेबी ने एक्सचेज पर कमोडिटी डेरिवेटिव में कारोबार को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय सेबी के निदेशक मंडल की बैठक में लिया गया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक सेबी ने इससे पहले के कारोबारी नियम यानी कि मौजूदा एलिजिबल फॉरेन एंटिटी (एएए) रूट बंद हो गया है। इसके तहत भारतीय फिजिकल कमोडिटीज के लिए वास्तविक निवेश की जरूरत होती थी। जानना जरूरी है कि श्रेणी 3 के तहत आने वाले वैकल्पिक इंवेस्टमेंट फंड्स, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज और म्यूचुअल फंड जैसे इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स इस प्रकार के डेरिवेटिव्स में सेबी की ओर से पहले ही कारोबार की मंजूरी मिल चुकी है। वहीं अब भारतीय कमोडिटी डेरिवेटिव में विदेशी एफपीआई की एंट्री से बाजार में और भी लिक्विडिटी बढ़ेगी।
हालांकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को कुछ रिस्क मैनेजमेंट मानकों के साथ इंडियन एक्सचेंज ट्रेड कमोडिटी डेरिवेटिव्स में कारोबार की मंजूरी दी गई है। इन्हें रिस्क मैनेजमेंट के मानकों के रिव्यू और इसमें अतिरिक्त मानकों को जोड़ने के लिए कार्यकारिणी समूह का गठन किया गया है। इस कार्यकारिणी में सेबी और मार्केट पार्टिसिपेंट्स के अधिकारी शामिल होंगे।
जानकारी के मुताबिक एफपीआई को सभी गैर-कृषि कमोडिटी डेरिवेटिव्स में कारोबार की मंजूरी रहेगी। सेबी के नए आदेश के बाद अगर कोई विदेशी निवेशक भारतीय एक्सचेंज-ट्रेडेड कमोडिटी डेरिवेटिव्स में हिस्सा लेना चाहता है तो उसके लिए वास्तविक निवेश की जरूरत नहीं रहेगी। इसके अलावा एफपीआई को कुछ गैर-कृषि बेंचमार्क इंडेक्स में भी निवेश को मंजूरी रहेगी। शुरूआत में वास्तविक निवेश को मंजूरी मिली है। इसका मतलब है कि एफपीआई पूरे पैसों के साथ कारोबार कर सकेंगे।
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