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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (FTA Provision): राजस्व विभाग और आयातक के बीच टकराव की स्थिति में मूल देश के संबंध में मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में दी गई विशेष छूट लागू होगी। यह कहना है वित्त मंत्रालय का। इस बारे में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने मुख्य आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि सीमा शुल्क के अधिकारियों को आवेदन देने में संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। इसके अलावा व्यापार समझौते के प्रावधानों या इसके मूल नियमों के प्रावधानों पर अमल करते रहना चाहिए।
इस प्रावधान के तहत किसी देश ने भारत के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किया है तो वह किसी तीसरे देश से माल को भारतीय बाजार में केवल एक लेबल लगाकर नहीं भेज सकता है। उसे भारत को निर्यात करने के लिए उस उत्पाद में एक निर्धारित मूल्यवर्धन करना होगा। भारत ने संयुक्त अरब अमीरात, मॉरीशस, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और आसियान देशों के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता किया है।
दरअसल, सीमा शुल्क के संबंध में 21 अगस्त, 2020 को अधिसूचना जारी की गई थी। सीमा शुल्क के नए नियमों के तहत सीमा शुल्क अधिकारी को ऐसा लगता है कि उत्पादक देश के निर्धारित मापदंड को पूरा नहीं किया गया है तो वह आयातक से कारोबार समझौते के तहत और जानकारी मांग सकते हैं। जानकारी नहीं मिलने पर अधिकारी आगे सत्यापन कर सकते हैं।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कहा कि स्पीकर और सिम ट्रे जैसे कलपुर्जों के साथ आने वाली मोबाइल फोन डिस्प्ले असेंबली के आयात पर 15 फीसदी की दर से ही बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) लगेगा। उन्होंने कहा कि डिस्प्ले असेंबली के आयात में गलत जानकारियां देने की घटनाएं सामने आती रही हैं। इसे दूर करने को बीसीडी में बदलाव किया गया है।
फिलहाल मोबाइल डिस्प्ले असेंबली इकाई के आयात पर 10% सीमा शुल्क लगता है। लेकिन डिस्प्ले असेंबली में इस्तेमाल अलग-अलग उपकरणों के आयात पर शुल्क नहीं लगता है। मोबाइल फोन की डिस्प्ले इकाई में टच पैनल, कवर ग्लास, एलईडी बैकलाइट जैसे कलपुर्जे शामिल होते हैं।
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