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महंगाई तय लिमिट से बाहर, मौद्रिक नीति की बैठक से पहले थामने की जरूरत : आरबीआई लेख

BY: Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : September 17, 2022, 12:13 pm IST
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महंगाई तय लिमिट से बाहर, मौद्रिक नीति की बैठक से पहले थामने की जरूरत : आरबीआई लेख

RBI Article

इंडिया न्यूज, RBI Article : देश में महंगाई दर पिछले कई महीनों से आरबीआई की तय लिमिट से बाहर बनी हुई है जोकि चिंता का विषय है। इस कारण मौद्रिक नीति के लिए महंगाई में वृद्धि को लेकर आशंकाओं को मजबूती से थामने की जरूरत है। यह बात आरबीआई के शुक्रवार को जारी ताजा बुलेटिन में कही गई है।

बताया गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति में 3 महीने से जारी गिरावट अगस्त महीने में थम गयी और मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के महंगा होने से यह बढ़कर 7 प्रतिशत तक पहुंच गई। आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है।

आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार कम होने से मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली टीम के लिखे लेख में बताया गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार कम होने के कारण मुद्रास्फीति और बढ़ सकती है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान आर्थिक वृद्धि के स्तर पर जो हल्की नरमी आई है, भारतीय अर्थव्यवस्था उससे बाहर निकलने की ओर बढ़ रही है।

संतोषजनक स्तर से ऊपर है मुद्रास्फीति

लेखकों ने कहा कि मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है और संतोषजनक स्तर से ऊपर है। यह महंगाई संबंधी आशंकाओं को मजबूती के साथ काबू में रखने के लिए मौद्रिक नीति की आवश्यकता को दर्शाई है। केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त की गई राय लेखकों की हैं और रिजर्व बैंक के विचारों का नहीं दशार्ती है।

लेख के मुताबिक कुल मांग मजबूत बनी हुई है। त्योहार शुरू होने के साथ इसके बढ़ने की उम्मीद है। घरेलू स्तर पर वित्तीय परिस्थितियां भी आर्थिक वृद्धि का समर्थन कर रही है। हालांकि केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त की गई राय लेखकों की हैं और रिजर्व बैंक के विचारों का नहीं दशार्ती है।

घाटा का GDP के 3 प्रतिशत के भीतर रहने का अनुमान

वहीं डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम के लिखे लेख में कहा गया कि कुल मिलकार चालू खाते के घाटा का जीडीपी के 3 प्रतिशत के भीतर रहने का अनुमान है।” विदेशी निवेशकों की लिवाली और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मजबूत रहने से घाटे का वित्तपोषण हो सकता है।” केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त की गई राय लेखकों की हैं और रिजर्व बैंक के विचारों का नहीं दशार्ती है।

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