इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
नया वित्त वर्ष 2022-23 की शुरूआत महंगाई की जद में हुई है। जिस तेजी के साथ महंगाई नए रिकार्ड बना रही है, उसस लगता है कि यह पूरा साल ही महंगाई के दबाव में रहेगा। इसी कारण महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने पिछले हफ्ते ही रेपो रेट में अचानक 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। RBI के इस निर्णय से शेयर बाजार में भारी गिरावट आई थी।
लाखों निवेशक बाजार से पैसा निकालने लगे थे। वहीं अब बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि RBI एक बार फिर से रेपो रेट में बदलाव कर सकता है। मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान ब्याज दरों में 1 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
दरअसल, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट पेश की है। इसमें बताया है कि महंगाई दर ने अप्रैल में 8 साल का रिकॉर्ड तोड़कर ब्याज दरों में बढ़ोतरी का रास्ता खोल दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल में खुदरा महंगाई दर (CPI) जिस तरह 7.79 फीसदी के स्तर पर जा पहुंची है, वह कीमतों में बढ़ोतरी का दायरा और बढ़ने का नतीजा है।
खुदरा महंगाई दर 6.3 फीसदी रहने का अनुमान
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष 2022-23 के लिए देश में औसत खुदरा महंगाई दर 6.3 फीसदी रह सकती है, जो रिजर्व बैंक के अधिकतम 6 फीसदी के दायरे से ज्यादा है जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में खुदरा महंगाई 5.5 फीसदी रही थी।
क्रिसिल के विशेषज्ञों ने कहा है कि इस समय ब्याज दरों में बढ़ोतरी से फ्यूल या फूड इंफ्लेशन पर कंट्रोल करना संभव नहीं होगा लेकिन कुछ समय बाद महंगाई के फैलाव को कम करने में इससे कुछ मदद मिल सकती है।
इन विशेषज्ञों ने भी जताया रेपो रेट बढ़ने का अनुमान
सिर्फ क्रिसिल ही नहीं बल्कि कई अन्य एक्सपर्ट्स ने भी रेपो रेट में इजाफा होने का अनुमान लगाया है। इक्रा रेटिंग्स (Icra Ratings) की चीफ इकॉनमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी अगले 2 पॉलिसी रिव्यू के दौरान रेपो रेट में 0.40 फीसदी और 0.35 फीसदी का इजाफा कर सकती है। रेपो रेट 5.15 प्रतिशत पर आने के बाद ही इसका असर दिख सकता है।
वहीं इस बारे में कोटक महिंद्रा बैंक की सीनियर इकॉमिस्ट उपासना भारद्वाज ने भी माना है कि जिस हिसाब से महंगाई दर बढ़ रही है, इसे देखते हुए मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी पर ब्याज दरों में इजाफा करने का दबाव बढ़ जाएगा। अनुमान है कि इस साल रेपो रेट में 0.90 फीसदी से 1.10 फीसदी तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। इसमें 0.35 से 0.40 फीसदी का इजाफा तो जून की पॉलिसी में ही किया जा सकता है।
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