इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी आयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन यानि ओएनजीसी ने वित्त वर्ष 2021-22 में 40,305 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया है। इसके मुनाफे के साथ ONGC अब रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी मुनाफा कमाने वाली कंपनी बन गई है।

ONGC को यह मुनाफा कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी के कारण हुआ है। वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 31.5 प्रतिशत बढ़ा है। ONGC ने बताया कि चौथी तिमाही में स्टैंडअलोन नेट प्रॉफिट 8,859.54 करोड़ रुपये रहा जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 6,733.97 करोड़ रुपये था। कंपनी के बोर्ड ने शेयरधारकों के लिए 5 रुपये की फेस वैल्यु वाले शेयर पर 3.5 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से डिविडेंड की सिफारिश की है। शुक्रवार को कंपनी के शेयर 5.33 फीसदी की गिरावट के साथ 143.80 रुपए पर बंद हुए हैं।

देश की दूसरी सबसे ज्यादा मुनाफे वाली कंपनी

बीते वित्त वर्ष में कंपनी का कंसोलिडेटेड शुद्ध मुनाफा बढ़कर 49,294.06 करोड़ रुपए पर रहा है। इसमें ओएनजीसी की सब्सिडियरी कंपनियों का मुनाफा भी शामिल है। इससे पहले के वित्त वर्ष में ओएनजीसी का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 21,360.25 करोड़ रुपए रहा था। नेट और कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट दोनों ही घरेलू कंपनियों के मुनाफे के मामले में ओएनजीसी दूसरे नंबर पर है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बीते वित्त वर्ष में 67,845 करोड़ रुपये का कंसोलिडेट नेट प्रॉफिट कमाया था। रिलायंस इंडस्ट्रीज की आय 7,92,756 करोड रुपये रही थी।

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इन कारणों से बढ़ा ONGC का मुनाफा

  1. ONGC ने बताया है कि बीते वित्त वर्ष के दौरान कंपनी को प्रत्येक बैरल कच्चे तेल के उत्पादन और बिक्री पर 76.62 डॉलर मिले हैं। जबकि इससे पहले के वित्त वर्ष में कंपनी को प्रत्येक बैरल कच्चे तेल के उत्पादन पर 42.78 डॉलर मिले थे। यह ONGC को कच्चे तेल के उत्पादन पर मिलने वाला सबसे ऊंचा दाम है। इसी कारण 2021-22 में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 258 फीसदी के उछाल के साथ 40,305.74 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में कंपनी को 11,246.44 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
  2. इसके अलावा दूसरा मुख्य कारण कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आना बताया गया है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया है। एक समय में तो कच्चे तेल का भाव लगभग 14 साल के सबसे ऊंचे स्तर 139 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इस कारण भी कंपनी का मुनाफा बढ़ा है।
    हालांकि, 2008 में कच्चे तेल के दाम 147 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे थे लेकिन उस दौरान ओएनजीसी को पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों को सब्सिडी उपलब्ध करानी पड़ी थी। इस कारण मुनाफा कम रहा था।
  3. ओएनजीसी का मुनाफा बढ़ने का तीसरा कारण कंपनी को बीते वित्त वर्ष में गैस के लिए 2.35 डॉलर प्रति इकाई (मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) का दाम मिला। वहीं 2021-22 में उसे गैस के लिए प्रति इकाई 2.09 डॉलर की कीमत मिली थी। इस वित्त वर्ष अप्रैल में गैस के दाम बढ़कर 6.1 डॉलर प्रति यूनिट पर पहुंच गए हैं। इसका असर कंपनी के चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजों में देखने को मिलेगा।

टाटा स्टील को पीछे छोड़ा

मुनाफे के मामले में ओएनजीसी ने टाटा स्टील को पीछे छोड़ दिया है। टाटा स्टील का बीते वित्त वर्ष का स्टैंडअलोन नेट प्रॉफिट 33,011.18 करोड़ रुपये और कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 41,749.32 करोड़ रुपये रहा है। वहीं टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 38,449 करोड़ रुपये रहा है। इसके साथ टीएसएस चौथे स्थान पर और भारतीय स्टेट बैंक 31,676 करोड़ रुपये के नेट प्रॉफिट के साथ 5वें स्थान पर है।

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