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India News (इंडिया न्यूज), MH-HC-ADANI-PETITION: मुंबई, 16 दिसंबर बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को अक्षय ऊर्जा और ताप विद्युत आपूर्ति के लिए अदानी समूह को महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिए गए अनुबंध को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह याचिका “निराधार और लापरवाहीपूर्ण” है। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता श्रीराज नागेश्वर एपुरवार पर अस्पष्ट याचिका के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
एपुरवार ने आरोप लगाया कि 6,600 मेगावाट अक्षय ऊर्जा और ताप विद्युत की आपूर्ति के लिए अडानी समूह को दिया गया अनुबंध याचिकाकर्ता के उचित दर पर उचित बिजली आपूर्ति तक पहुंच के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, जो वर्तमान में उपमुख्यमंत्री हैं, पर अडानी समूह को अनुबंध देने के दौरान भ्रष्टाचरण में शामिल होने का आरोप भी लगाया गया है। हालांकि, पीठ ने दलीलों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा, “हमारी राय में, निराधार और लापरवाह बयानों वाली ऐसी याचिकाएं दायर करने से कभी-कभी अच्छे कारणों के भी खत्म होने का जोखिम रहता है।”
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इसमें कहा गया कि याचिका में “अस्पष्ट और निराधार” दावे किए गए हैं कि दिया गया अनुबंध सरकारी अधिकारियों से जुड़ा एक घोटाला था। हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका में ऐसी कोई सहायक सामग्री नहीं है जो यह दिखाए कि पूर्व मुख्यमंत्री (शिंदे) किसी भी भ्रष्ट आचरण में शामिल थे। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अनुबंध की निविदा प्रक्रिया में भागीदार नहीं था। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा, “याचिका में कोई भी पुष्ट और सहायक सामग्री नहीं है और इसमें बिल्कुल ही बेबुनियाद और अस्पष्ट आरोप हैं।” कोर्ट ने याचिकाकर्ता को महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में 50,000 रुपये की लागत जमा करने का निर्देश दिया।
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