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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगभग एक महीने से स्थिर हैं। लेकिन अब एक बार फिर से देश में पेट्रोल और डीजली के भाव बढ़ने की आशंका है। इसका मुख्य कारण है इंडियन बॉस्केट क्रूड आयल के प्राइस में रिकार्ड उछाल आना। दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तो क्रूड आयल के दाम बढ़ ही रहे हैं। बीते शुक्रवार को इंडियन बास्केट क्रूड आॅयल का प्राइस भी 121.28 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
ये 10 साल में इंडियन बास्केट का सबसे हाई लेवल है। जबकि पिछले महीने अप्रैल में इंडियन बॉस्केट का क्रड आयल लगभग 102.97 डॉलर (8049.97 रुपये) प्रति बैरल पर था। इंडियन बास्केट का मतलब ऐसे क्रूड आयल से है जिसे भारतीय रिफाइनरी में प्रोसेस किया जाता है। इसके चलते भारत पेट्रोलियम, इंडियन आयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सरकारी तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल-डीजल के खुदरा भाव में बढ़ोतरी कर सकती हैं।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड आयल इंपोर्टर है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 85 फीसदी हिस्सा तेल विदेशों से आयात करता है। चूंकि भारत बहुत ज्यादा मात्रा में तेल खरीदता है, ऐसे में किसी एक देश पर निर्भर नहीं है बल्कि अलग-अलग देशों से तेल को सोर्स किया जाता है। इस कारण भारत के लिए कच्चे तेल का भाव बाजार भाव से अलग होता है। इसे ही क्रूड आयल का इंडियन बास्केट कहते हैं।
उल्लेखनीय है कि तेल कंपनियों ने आखिरी बार 6 अप्रैल को तेल की कीमतें बढ़ाई थी। इसके बाद से लागत के अधिक दबाव के बावजूद यह महंगा नहीं हुआ है। कच्चे तेल के भाव में तेजी के बावजूद इंडियन आॅयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम तेल के भाव स्थिर रखे हुई हैं लेकिन निजी सेक्टर की तेल बिक्री करने वाली कंपनियों घाटे से बचने के लिए अपने कारोबार में कटौती की है।
सरकार ने बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करने के लिए पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में बड़ी कटौती की थी। इससे देश में पेट्रोल के दाम 9.50 रुपये और डीजल के 7 रुपये प्रति लीटर कम हो गए थे। इसके अलावा कई राज्यों ने भी वैट घटाया था। इस समय दिल्ली में अभी पेट्रोल प्रति लीटर 96.72 रुपये और डीजल 89.62 रुपये के भाव पर बिक रहा है।
सरकार और आरबीआई महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। लेकिन यदि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो इसका असर महंगाई पर भी दिखेगा। फिलहाल महंगाई आठ साल के रिकॉर्ड लेवल 7.8 फीसदी पर है।
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