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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Repo Rate): इंफ्लेशन को कंट्रोल करने के लिए आरबीआई द्वारा किए जा रहे प्रयासों में रेपो रेट अहम कदम माना जा रहा है। बीते दिन एक बार फिर से आरबीआई ने रेपो रेटो में 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है। ऐसा लगातार तीसरी बार हुआ है जब आरबीआई की मॉनीटिरी पॉलिसी बैठक में ये फैसला लिया गया है।
आरबीआई इस साल मई से लेकर अब तक रेपो रेट में 140 बीपीएस (1.40 फीसदी) की बढ़ोतरी कर चुका है। जानकारी के मुताबिक रेट हाइक का ये सिलसिला यही नहीं थमेगा। माना जा रहा है कि आने वाले समय में आरबीआई रेपो रेट में और इजाफा कर सकता है।
बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के आखिरी तक यह 6-6.5 फीसदी तक पहुंच सकता है। आज की 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 5.40 फीसदी पर पहुंच चुका है जो कोरोना से पूर्व के स्तर पर है। वहीं फरवरी 2020 में यह दर 5.15 फीसदी थी।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा का अनुमान है कि जब तक आरबीआई न्यूट्रल पॉलिसी रेट तक नहीं पहुंच जाता है, तब तक पॉलिसी दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला तब तक जारी रहेगा। न्यूट्रल पॉलिसी रेट शॉर्ट टर्म पॉलिसी रेट है जो लांग रन में अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए जरूरी है और महंगाई दर टारगेट रेंज में रहे। सिन्हा के मुताबिक मौजूदा मैक्रो एनवायरमेंट में न्यूट्रल पॉलिसी रेट 6-6.5 फीसदी के बीच होना चाहिए।
डीबीएस बैंक की सीनियर इकनॉमिस्ट राधिका राव का कहना है कि वित्त वर्ष 2023-24 के शुरूआत में इंफ्लेशन 6 फीसदी तक टारगेट से अधिक रह सकता है जिसके चलते चालू वित्त वर्ष के आखिरी तक 75 बीपीएस (0.75 फीसदी) की बढ़ोतरी हो सकती है। राव के अनुसार मौजूदा तिमाही जुलाई-सितंबर 2023 में महंगाई दर पीक पर रह सकती है और फिर इसके बाद मार्च तिमाही में फिसलकर 6 फीसदी के नीचे आ सकती है।
यूबीएस सिक्योरिटीज की इंडिया चीफ इकनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन के मुताबिक ग्रोथ और इंफ्लेशन दोनों को लेकर अनिश्चितता बहुचत अधिक बनी रहने वाली है जिसके चलते रेट हाइक का फैसला डेटा के हिसाब से होगा। वहीं स्विस ब्रोकरेज यूबीएस सिक्योरिटीज का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 के आखिरी तक रेपो रेट 5.75 फीसदी पर पहुंच सकता है।
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