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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत के लिए अच्छी खबर आई है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध टीम ‘एसबीआई रिसर्च’ ने वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के वृद्धि अनुमान में 20 बेसिस प्वाइंट यानि कि 0.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इसी के साथ भारत की जीडीपी ग्रोथ 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
एसबीआई रिसर्च टीम ने यह अनुमान क्रेडिट ग्रोथ में तेजी और बेहतर स्टैटिस्टिकल बेस के दम पर लगाया है। हालांकि ग्रोथ के आंकड़े पॉजिटिव दिख रहे हैं, इसके बावजूद एसबीआई की रिपोर्ट में कच्चे तेल की महंगाई जैसे ग्लोबल फैक्टर से जुड़ी चिंता भी व्यक्त की गई है।
एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष के शुरूआती वर्षों में महंगाई दर बढ़ सकती है लेकिन महंगाई को कम करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। हाल ही में सरकार ने तेल की कीमतों में एक्साइज डयूटी कम की है। इस कारण पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार की नीतियों की वजह से यह 6.5-6.7 फीसदी के बीच रह सकती है।
वहीं रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा बैठक में ब्याज दरों को 50 बेसिस प्वाइंट्स (0.50 फीसदी) बढ़ाने का फैसला कर सकता है। इसके अलावा सीआरआर (कैश रिजर्व रेशियो) में भी 25 बेसिस प्वाइंट्स (0.25 फीसदी) की बढ़ोतरी हो सकती है।
इस बारे में एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति और उसके बाद दरों में संभावित वृद्धि को देखते हुए हमारा मत है कि वित्त वर्ष 2022-23 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 11.1 लाख करोड़ रुपये की होगी। यह चालू वित्त वर्ष में 7.5 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि की ओर इशारा करता है जोकि पिछले अनुमान से 0.20 प्रतिशत अधिक है।
वहीं उन्होंने मौजूदा मूल्य पर जीडीपी के आकार के बारे में बताया कि यह 2021-22 में 38.6 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 237 लाख करोड़ रुपये हो गई जो सालाना आधार पर 19.5 प्रतिशत वृद्धि दशार्ता है। गौरतलब है कि आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही। इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 11.8 लाख करोड़ रुपए बढ़कर 147 लाख करोड़ रुपए हो गया। महामारी आने से पहले के वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में यह सिर्फ 1.5 प्रतिशत ही अधिक है।
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