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8th Pay Commission Update: भारत में हर 10 साल के बाद केंद्र सरकार (Central Government) अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए नया वेतन आयोग (Pay Commission) लागू करती है. इसलिए 7वें वेतन आयोग के बाद अब 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी थी, लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक सूचना जारी नहीं हुई है, न ही टर्म्स ऑफ रेफरेंस फाइनल हुए हैं और न ही आयोग के सदस्यों की लिस्ट सामने आई है, ऐसे में सवाल यह है कि इसे पूरी तरह लागू होने में कितना समय लग सकता है और कर्मचारियों को इसका लाभ किस प्रकार मिलेगा.
8वें वेतन आयोग का प्रभावी समय
सरकार ने 8वें वेतन आयोग की इफेक्टिव डेट 1 जनवरी 2026 तय की है. इसका मतलब है कि भले ही आयोग की रिपोर्ट और क्रियान्वयन में देरी हो जाए, लेकिन कर्मचारियों और पेंशनर्स की सैलरी और पेंशन बढ़ोतरी इसी तारीख से लागू मानी जाएगी. यानी, जब भी इसका नोटिफिकेशन आएगा, कर्मचारियों को दो साल तक का एरियर भी मिलेगा. इसका फायदा करीब 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी और लगभग 65 लाख पेंशनर्स को मिलेगा.
बेसिक सैलरी में कितनी बढ़ोतरी संभव?
वेतन आयोग की सबसे अहम भूमिका बेसिक सैलरी तय करने की होती है. अभी लेवल-1 के केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 18,000 रुपये है. 8वें वेतन आयोग में इसके 44,000 रुपये तक बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. यह बढ़ोतरी फिटमेंट फैक्टर और DA (महंगाई भत्ता) मर्जर पर निर्भर करेगी. 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. 8वें वेतन आयोग में यह 2.46 होने की उम्मीद है.
DA का असर कैसे होगा?
हर वेतन आयोग में DA (महंगाई भत्ता) जीरो से शुरू होता है, क्योंकि नई बेसिक सैलरी पहले से ही महंगाई को ध्यान में रखकर बढ़ाई जाती है. फिलहाल DA बेसिक पे का 55% है. 8वें आयोग के लागू होते ही यह हिस्सा हट जाएगा. शुरुआत में टोटल सैलरी (बेसिक + DA + HRA) में बढ़ोतरी थोड़ी कम दिख सकती है. लेकिन लंबे समय में DA फिर से बढ़ेगा और सैलरी में लगातार इजाफा होगा.
2028 तक क्यों लग सकता है समय?
वेतन आयोग की प्रक्रिया काफी लंबी होती है.
1. पहले आयोग का गठन होता है.
2. फिर वह कर्मचारियों से सुझाव लेकर रिपोर्ट तैयार करता है.
3. इसके बाद रिपोर्ट को सरकार के पास भेजा जाता है.
4. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू किया जाता है.
पिछले आयोगों के अनुभव बताते हैं कि यह पूरी प्रक्रिया औसतन दो से तीन साल का समय लेती है. इसलिए, भले ही 2026 से इसका प्रभाव माना जाएगा, लेकिन पूरी तरह से लागू होते-होते 2028 तक का इंतजार करना पड़ सकता है.