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कोबरापोस्ट इन्वेस्टिगेशन LOOTWALLAHS: भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर उठ रहे सवाल

COBRAPOST INVESTIGATION LOOTWALLAHS: आरोप है कि पिछले 6 साल में एक दर्जन से ज्यादा बैंकों में लगभग 25,000 करोड़ रुपये की नकदी भी जमा की गई है.

Written By: JP YADAV
Last Updated: 2025-12-23 12:44:55

COBRAPOST INVESTIGATION LOOTWALLAHS: कानूनी दस्तावेजों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डॉक्यूमेंट की गहन छानबीन में कोबरापोस्ट ने चोलमंडालम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी लिमिटेड से जुड़े बड़े नकद लेनदेन, संदिग्ध संबंधित पक्ष व्यवस्थाएं (questionable related party arrangements), चौंकाने वाले वैधानिक डिस्क्लोजर और अनुपालन में खामियों के चिंताजनक पैटर्न को उजागर किया है. चोलमंडालम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी सूचीबद्ध गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में से एक है. लगभग एक दशक से 125 साल पुराने मुरुगप्पा ग्रुप की प्रमुख कंपनी और अन्य संस्थाओं से जुड़े संबंधित पक्षों के जाल के जरिए 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ है, जिससे मुख्य रूप से मुरुगप्पा ग्रुप की कंपनियों, परिवार के सदस्यों और प्रमुख प्रबंधन कर्मियों को लाभ हुआ है. 

10 हजार के लेन-देन का खुलासा

कोबरापोस्ट की एक जांच में वैधानिक दस्तावेजों और कॉर्पोरेट एवं वित्तीय खुलासों की विस्तृत पड़ताल के आधार पर, चोलमंडालम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी लिमिटेड और मुरुगप्पा ग्रुप की संबंधित कंपनियों, परिवार के सदस्यों और प्रमुख प्रबंधन कर्मियों (केएमपी) से जुड़े 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के लेन-देन का पता चला है. हमारी जांच से यह भी पता चलता है कि इस रकम का हिस्सा अतिरिक्त ट्रांजेक्शन (additional transactions) के जरिए आगे भेजा गया, जिनके स्वरूप और उद्देश्य की नियामक स्तर पर गहन जांच की जरूरत है. जांच में यह भी पता चला है कि सीआईएफएल (CIFCL) ने पिछले 6 वर्षों में 14 बैंकों में 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकद राशि जमा की है। इनमें से 8 निजी बैंक हैं और बाकी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं. ये आंकड़े अनुमानित हैं और सक्षम वैधानिक प्राधिकरण द्वारा जांच किए जाने पर भिन्न हो सकते हैं.

9 कंपनियों को 3000 करोड़ से अधिक का भुगतान

इस इन्वेस्टिगेशन में पहचाने गए प्रमुख प्राप्तकर्ता संस्थाओं में सीआईएफसीएल (CIFCL) के अलावा चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (CMGICL), चोला बिजनेस सर्विसेज लिमिटेड (CBSL) और मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज शामिल हैं। एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) CIFCL ने लगभग 6419 करोड़ रुपये की रकम का दुरुपयोग किया है। इस राशि में 4103 करोड़ रुपये शामिल हैं जो मुरुगप्पा ग्रुप की निजी स्वामित्व वाली कंपनी CBSL को साल 2015 से CIFCL से प्राप्त हुए हैं. इसी तरह, CMGICL ने 2017 से CBSL सहित मुरुगप्पा ग्रुप की 9 कंपनियों को लगभग 3040 करोड़ रुपये का भुगतान किया.

 ग्रुप की कंपनियों और प्रमुख प्रबंधन कर्मचारियों को किए गए भुगतानों के अलावा, हमारी इन्वेस्टिगेशन से पता चला है कि कुछ क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, ऑडिट फर्मों, ईशा फाउंडेशन जैसे गैर-लाभकारी संगठनों, खेल निकायों और ट्रेड एसोसिएशनस को भी CIFCL और मुरुगप्पा ग्रुप की कंपनियों से मोटी रकम मिली है. कोबरापोस्ट द्वारा समीक्षा किए गए दस्तावेजों और संबंधित रिकॉर्डों के आधार पर, इन संस्थाओं को जांच अवधि के दौरान कुल मिलाकर लगभग 120 करोड़ रुपये हासिल हुए.

कई निकायों का किया भारी भुगतान

वहीं, कोबरापोस्ट की इन्वेस्टिगेशन से यह भी पता चलता है कि प्रमोटर ग्रुप की एक और निजी कंपनी, मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज का इस्तेमाल 675 करोड़ रुपये की धनराशि के हेरफेर के लिए विशेष प्रयोजन वाहन (स्पेशल पर्पस व्हीकल) के रूप में किया गया है. यह कारगुजारी दो चरणों में हुई। पहले चरण में, 2017-18 और 2014-25 के बीच ग्रुप की 17 कंपनियों (सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध दोनों) से 675 करोड़ रुपये निकाले गए. इस रकम में से लगभग 103 करोड़ रुपये CIFCL से प्राप्त हुए. दूसरे चरण में, मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज ने दर्जनों व्यक्तियों, संबंधित कंपनियों सहित कई संस्थाओं, रेटिंग एजेंसियों, बीसीसीआई जैसे खेल निकायों को भारी भुगतान किया.

 रिकॉर्ड के विश्लेषण के आधार पर जांच की समीक्षाधीन अवधि के दौरान, मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज द्वारा परिवार के सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों को किए गए भुगतान की कुल रकम लगभग 353 करोड़ रुपये है. भुगतान लेने वालों में से एक मुरुगप्पा परिवार के सदस्य और कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रमुख रविचंद्रन वेंकटचलम (रविचंद्रन वी) हैं, जिन्हें तीन साल में 55 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान प्राप्त हुआ.

कोबरापोस्ट ने मुरुगप्पा परिवार के कई अन्य सदस्यों की पहचान की है जिन्हें करोड़ों रुपये का भुगतान हुआ है, जिसे वेतन, पेशेवर शुल्क या दोनों के संयोजन के रूप में दिखाया गया है. ऐसे ही एक लाभार्थी अरुणाचलम एमएएम हैं, जिन्हें 2017-18 और 2022-23 के बीच सैलरी के रूप में 20.72 करोड़ रुपये से ज्यादा और 2024-25 में पेशेवर शुल्क के तौर पर 2.50 करोड़ रुपये मिले. 

वरिष्ठ प्रबंधन कर्मियों में, मुरुगप्पा ग्रुप के मानव संसाधन प्रमुख (Group’s human resources head) रमेश के.बी. मेनन को 2017-18 और 2021-22 के बीच लगभग 54 करोड़ रुपये सैलरी के तौर पर मिले.

कोबरापोस्ट द्वारा पहचाने गए संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions)  लगभग 10,000 करोड़ रुपये के हैं. कुछ अपवादों को छोड़कर, इन लेनदेन को कार्य अनुबंधों (work contracts), पेशेवर शुल्क और कमीशन के भुगतान के रूप में दर्ज किया गया है. ये लेनदेन रचनात्मक लेखांकन (creative accounting) के उदाहरण दिखाई देते हैं.

 

हालांकि CIFCL, CBSL, मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज और इस रिपोर्ट में उल्लिखित अन्य संस्थाओं के सभी लेनदेन मिलाकर 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के हैं, लेकिन केवल लगभग 2161 करोड़ रुपये के संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions) ही दर्शाया गया है.

 

ये लेन-देन कंपनी एक्ट 2013, भारतीय बीमा और नियामक प्राधिकरण (IRDAI) के दिशानिर्देशों, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) रेगुलेशन और भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) द्वारा निर्धारित भारतीय लेखा मानकों (Indian Accounting Standards) का उल्लंघन करते हुए किए गए हैं.

 

कोबरापोस्ट द्वारा इन्वेस्टिगेट किए गए वैधानिक दस्तावेजों और संबंधित खुलासों के आधार पर मुख्य निष्कर्ष कुछ इस तरह हैं.

CIFCL ने 2020-21 और 2024-25 के बीच 14 बैंकों में लगभग 25,000 करोड़ रुपये की नकद रकम जमा की है. ये आंकड़े सार्वजनिक किए गए डेटा से प्राप्त अनुमानित आंकड़े हैं और सक्षम प्राधिकारी द्वारा जांच किए जाने पर इनमें इजाफा हो सकता है.

 

यह एनबीएफसी बीमा क्षेत्र में भी काम करती है और खबरों के मुताबिक इसने साल 2024 और 2025 के बीच 942 करोड़ रुपये का कमीशन अर्जित किया है. कमीशन से होने वाली इसकी आय में जबरदस्त इजाफा हुआ है. चूंकि CIFCL की इनकम का एक बड़ा हिस्सा वाहनों और घरों के वित्तपोषण से आता है, इसलिए यह सवाल उठता है कि क्या कंपनी वाहन लोन के साथ बीमा को भी शामिल कर रही है, जो कि IRDAI जैसी नियामक एजेंसियों द्वारा प्रतिबंधित प्रथा (prohibited practice) है.

 

 CIFCL जिन तीन बीमा कंपनियों के लिए काम करती है, उनमें से एक चोलमंडालम एमएस जनरल इंश्योरेंस (CMGICL) है, जो इसकी सहयोगी कंपनी है। जैसा कि पहले बताया गया है, सीएमजीआईसीएल (CMGICL) ने 3040 करोड़ रुपये की धनराशि मुरुगप्पा ग्रुप की 9 कंपनियों को घुमाई है.

 

i. CMGICL द्वारा किए गए डिस्क्लोजर (disclosures) की जांच से पता चलता है कि इन लेन-देन को बीमा कमीशन, कार्य अनुबंध (work contracts) और पेशेवर शुल्क (professional fees) जैसे शीर्षों के तहत दर्ज किया गया था. इन लेन-देन की संरचना, वर्गीकरण (classification) और डिस्क्लोजर इस रिपोर्ट में विश्लेषित शासन और अनुपालन संबंधी मुद्दों (governance and compliance issues) का एक प्रमुख हिस्सा हैं.

 

ii. जांचे गए रिकॉर्ड के आधार पर, मुरुगप्पा ग्रुप की कई कंपनियों के साथ लगभग  1578 करोड़ रुपये के लेनदेन दर्ज किए गए, जिसमें 9 संबंधित कंपनियों को पेशेवर शुल्क (professional fees) के रूप में लगभग 1036 करोड़ रुपये का भुगतान शामिल है.

 

iii. इन लेन-देन के कंसंट्रेशन (केंद्रीकरण) से संयुक्त उद्यम भागीदारों (joint venture partners) सहित छोटे और बड़े शेयरहोल्डर पर पड़े प्रभाव कई सवाल उठाते हैं। इस मुद्दे पर इस रिपोर्ट में विस्तार से चर्चा की गई है.

 

iv. फाइलिंग की समीक्षा से पता चलता है कि सीएमजीआईसीएल (CMGICL) ने सिर्फ 116 करोड़ रुपये के संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions) दर्शाया है, जबकि हमारी इन्वेस्टिगेशन में जो अतिरिक्त लेनदेन (additional transactions) सामने आई, वो संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions) में नहीं दर्शाई गई हैं.

 

v. कोबरापोस्ट द्वारा सीआईएफसीएल (CIFCL) के उपलब्ध दस्तावेजों की समीक्षा से भी यही संकेत मिलता है कि इस इन्वेस्टिगेशन में पहचाने गए कई लेनदेन को संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions) के रूप में रिपोर्ट नहीं किया गया है.  

समीक्षा किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि सीआईएफएल (CIFCL) ने मुरुगप्पा ग्रुप की एक दर्जन से ज्यादा कंपनियों के साथ वर्क कांट्रैक्ट के रूप में 1654 करोड़ रुपये से ज्यादा के भुगतान किए हैं. ऐसा मालूम चलता है कि ये लेनदेन संबंधित अवधियों के लिए कंपनी के दस्तावेजों में संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions) के रूप में दर्ज नहीं किए गए हैं.

 

रिकॉर्ड में दर्ज ये प्राप्तकर्ता कंपनियां शामिल हैं

• ईआईडी पैरी इंडिया लिमिटेड

• पैरी एंटरप्राइजेज इंडिया लिमिटेड

• मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड

• कोरोमंडल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड

• चोलामंडलम डिस्ट्रीब्यूशन सर्विसेज

• चोलामंडलम होम फाइनेंस लिमिटेड

• चोलामंडलम सिक्योरिटीज लिमिटेड

• चोलामंडलम एमएस रिस्क सर्विसेज लिमिटेड

• चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

• नेट एक्सेस इंडिया लिमिटेड

• चोला बिजनेस सर्विसेज लिमिटेड

 

• मुरुगप्पा ग्रुप की निजी स्वामित्व वाली इकाई चोला बिजनेस सर्विसेज लिमिटेड (सीबीएसएल) को सीआईएफसीएल (CIFCL) द्वारा दर्ज किए गए वर्क कांट्रैक्ट  भुगतानों के प्रमुख प्राप्तकर्ता के रूप में दर्शाया गया है. इस इन्वेस्टिगेशन में पहचाने गए लगभग 1654 करोड़ रुपये के वर्क कांट्रैक्ट लेनदेन में से, लगभग 1628 करोड़ रुपये का भुगतान सीबीएसएल (CBSL) के पक्ष में दर्ज किया गया था.

 

• इन्वेस्टिगेशन से यह भी पता चलता है कि सीआईएफसीएल (CIFCL) ने मुरुगप्पा ग्रुप की 5 कंपनियों को पेशेवर शुल्क (professional fee) के रूप में लगभग 642 करोड़ रुपये का भुगतान किया. इसके अलावा, कोबरापोस्ट द्वारा जांचे गए दस्तावेजों से पता चलता है कि मुरुगप्पा परिवार के 12 वरिष्ठ सदस्यों को प्रॉफेश्नल फीस और सैलरी के रूप में लगभग 19 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. कुल मिलाकर इन भुगतानों की रकम लगभग 662 करोड़ रुपये है.

 

• सीबीएसएल (CBSL) ने कई वर्षों में सीआईएफसीएल (CIFCL) से लगभग 4103 करोड़ रुपये की प्राप्तियां दर्ज कीं. ये भुगतान रिकॉर्ड में कर्मचारियों की भर्ती और संबंधित सेवाओं के तौर पर दर्ज हैं, जिनमें साल 2015 से पहले की अवधि के लेनदेन भी शामिल हैं। इन रकम की प्राप्ति के बाद, सीबीएसएल (CBSL) ने अन्य कंपनियों और व्यक्तियों को भुगतान किए.

 

– सीबीएसएल (CBSL) ने इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80जेजेएए के तहत CIFCL में तैनात कर्मचारियों के संबंध में लगभग 180 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कटौती (additional deductions) का दावा किया.

 

– सीआईएफएल (CIFCL) ने संबंधित अवधियों के लिए अपनी फाइलिंग में लगभग 2045 करोड़ रुपये के संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions) की जानकारी दी है.

 

– रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि सीबीएसएल (CBSL) द्वारा सीआईएफएल (CIFCL) से रकम मिलने के बाद मैसूर क्लब, मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज और वेंकटचलम ए समेत कुछ संस्थाओं और व्यक्तियों को भुगतान किया गया.

 

– वेंकटचलम ए को 2023-24 और 2024-25 के बीच कुल मिलाकर लगभग 16 करोड़ रुपये का सैलरी पेमेंट मिला.

 

• प्रमोटर-नियंत्रित मुरुगप्पा ग्रुप की कंपनी मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज को 2017-18 और 2024-25 के बीच 8 वर्षों की अवधि में ग्रुप की 17 कंपनियों से लगभग 675 करोड़ रुपये के लेनदेन हुए। इसमें से लगभग 103 करोड़ रुपये की रकम सीआईएफएल (CIFCL) से आई.

 

इन रकम की प्राप्ति के बाद, मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज ने विभिन्न संस्थाओं और व्यक्तियों को भुगतान किया:

 

– मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज ने दर्जनों व्यक्तियों, संबंधित कंपनियों, रेटिंग एजेंसियों, बीमा कंपनियों, बीसीसीआई जैसे खेल निकायों सहित कई संस्थाओं को लगभग 365 करोड़ रुपये का पेमेंट किया.

 

- 365 करोड़ रुपये में से, मुरुगप्पा परिवार के सदस्यों और उनके करीबी सहयोगियों को मिलाकर 353 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम मिली। ये भुगतान 8 वर्षों की अवधि में किए गए। इन डायवर्जन से लाभान्वित होने वाले परिवार सदस्यों में ये प्रमुख नाम हैं.

 

रविचंद्रन वी, जिन्हें 55 करोड़ रुपये से ज्यादा मिले.

 

एमएम वेंकटचलम, जिन्हें 44 करोड़ रुपये से ज्यादा मिले.

 

एमएम मुरुगप्पन, जिन्हें लगभग 42.53 करोड़ रुपये मिले.

 

मुरुगप्पा वेलायन सुब्बैया, जिन्हें 34.84 करोड़ रुपये मिले.

 

मुरुगप्पन अरुणाचलम अलगप्पन, जिन्हें 35.47 करोड़ रुपये मिले.

 

– मुरुगप्पा ग्रुप के टॉप मैनेजमेंट के 8 अधिकारियों में से दो, रमेश केबी मेनन और श्रीनिवासन एन को भी 54 करोड़ रुपये और 21 करोड़ रुपये मिले.

 

– इसके अलावा, मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज ने मुरुगप्पा ग्रुप की दर्जनों कंपनियों में से 4 को 5.70 करोड़ रुपये की रकम का भुगतान किया, जिसमें मुरुगप्पा परिवार की होल्डिंग कंपनी अंबाडी इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड (Ambadi Investments Ltd.) भी शामिल है.

 

– ऐसा लगता है कि इन संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions) के संबंध में अपेक्षित रेगुलेटरी कंप्लायंस (regulatory compliance) नहीं किया गया.

 

• CMGICL और CIFCL द्वारा आंशिक डिस्क्लोजर को छोड़कर सभी संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions) के संबंध में पर्याप्त डिस्क्लोजर नहीं किया गया. कंपनियों को साल 2013 के कंपनी एक्ट, SEBI के लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) विनियमों और इंडियन अकाउंटिंग स्टैंडर्ड द्वारा अनिवार्य संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions) का अनुपालन करना होता है.

 

• CIFCL ने कुछ प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों और ऑडिटिंग फर्मों को प्रॉफेश्नल फीस के रूप में 103 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया, जो कि काफी अलग और काफी ज्यादा मालूम होता है. इन ट्रांजैक्शन में हितों के टकराव (conflict of interest) की झलक दिखती है। जैसे प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी, क्रिसिल लिमिटेड को 2016-17 से एक दशक में लगभग 18 करोड़ रुपये मिले. इसकी सहयोगी कंपनियों क्रिसिल रेटिंग्स लिमिटेड और क्रिसिल रिस्क इंफ्रास्ट्रक्चर सॉल्यूशन लिमिटेड को भी एक ही साल में 5 करोड़ रुपये तक की रकम मिली. गौरतलब है कि रेटिंग एजेंसी ने बढ़ते डेट-टू-इक्विटी अनुपात (debt to equity ratio) के बावजूद सीआईएफएल (CIFCL) को शॉर्ट टर्म के लिए A1+ और लॉन्ग टर्म के लिए AA+/स्टेबल रेटिंग दी थी. ये महज संयोग नहीं हो सकता.

 • CIFCL ने डायवर्ट किए गए फंड से 21 नॉन प्रोफिट ट्रेड बॉडी (गैर-लाभकारी व्यापारिक निकायों) और धार्मिक संगठनों को 20 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम दी। उदाहरण के तौर पर, ईशा फाउंडेशन और ईशा लीडरशिप एकेडमी को CIFCL से संयुक्त रूप से लगभग 1.99 करोड़ रुपये मिले। दिलचस्प बात यह है कि ये भुगतान वर्क कांट्रैक्ट के तहत किए गए। हालांकि ये भुगतान दान की तरह दिखते हैं, कंपनी ने इन्हें खर्च के रूप में दिखाया है, ऐसा शायद सीएसआर दिशानिर्देशों से बचने के लिए किया गया है.

 • कोबरापोस्ट ने 2015-16 और 2024-25 के बीच सीआईएफसीएल (CIFCL) को लोन पर ब्याज का भुगतान करने वाली 38 उधारकर्ता संस्थाओं (borrower entities) की लिस्ट बनाई है। हालांकि, उनमें से सिर्फ कुछ ने ही अपने बकाया लोन की घोषणा करते हुए चार्ज रजिस्टर दाखिल किए हैं, जिससे एनबीएफसी की लोन देने की प्रथा (lending practices) सवालों के घेरे में आती है.

 कोबरापोस्ट की इन्वेस्टिगेशन से यह भी पता चलता है कि सीआईएफसीएल (CIFCL) से धनराशि प्राप्त करने के बाद, सीबीएसएल (CBSL) ने वेंकटचलम ए को भुगतान किया, जैसा कि पहले भी बताया जा चुका है. प्रमोटर ग्रुप के मेम्बर वेंकटचलम ए को सीबीएसएल (CBSL) द्वारा साल 2023 और 2025 के बीच सैलरी के तौर पर लगभग 16 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. हालांकि, वेंकटचलम ए को मुरुगप्पा मैनेजमेंट सर्विसेज से लगभग 18 करोड़ रुपये का मुआवजा भी मिला है.

 यहां यह बताना जरूरी है कि सीआईएफसीएल (CIFCL) का पूरा बिज़नस बैंकों, वित्तीय संस्थानों और आम जनता से लिए गए लोन पर निर्भर है. सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, कुल बकाया लोन- जिसे euphemistically एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) कहा जाता है, 1,99,867 करोड़ रुपये से 2,07,875 करोड़ रुपये के बीच है. सटीक रूप से कहें तो, 31 मार्च, 2025 तक CIFCL की बकाया देनदारियां 2,01,647 करोड़ रुपये थीं. हाल के वर्षों में सीआईएफसीएल (CIFCL) द्वारा लिए गए लोन में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है. साल 2019 में 50,567 करोड़ रुपये से यह लोन तीन गुना से ज्यादा बढ़कर 1,74,946 करोड़ रुपये हो गया है. सीआईएफसीएल (CIFCL) द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए दायर वार्षिक रिपोर्ट (annual report) के मुताबिक, इसकी देनदारियों में 1,74,946 करोड़ रुपये का लोन और 3074 करोड़ रुपये की अन्य देनदारियां शामिल हैं, जो इतनी बड़ी रकम है कि इसे किसी भी पैमाने पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

 कोबरापोस्ट द्वारा इन्वेस्टिगेशन में उजागर की गई मुरुगप्पा ग्रुप की वित्तीय सूझबूझ की कमी और चूक को देखते हुए कोई भी यह सवाल कर सकता है कि क्या उनका पैसा और विश्वास दोनों सुरक्षित हाथों में है?

लेन-देन और डिस्क्लोजर प्रैक्टिस का पैमाना उनके संभावित वित्तीय और गवर्नेंस

इंप्लीकेशन संबंधी प्रभावों के बारे में भी गंभीर सवाल उठाता है, जिसमें राजस्व, व्यय और संबंधित पक्ष लेनदेन (related party transactions) को लागू कर और नियामक ढांचे के तहत वर्गीकृत (classify) और रिपोर्ट करने का तरीका भी शामिल है.

इन मुद्दों से कॉर्पोरेट गवर्नेंस, पारदर्शिता और हितधारकों की जवाबदेही के संबंध में महत्वपूर्ण सवाल उठते हैं. खास तौर पर विनियमित क्षेत्रों में काम करने वाली और बड़ी मात्रा में सार्वजनिक और संस्थागत पूंजी का प्रबंधन करने वाली सूचीबद्ध संस्थाओं के लिए कई सवाल हैं.

 पत्रकारिता के सबसे उपयुक्त आचरण का पालन करते हुए कोबरापोस्ट ने CIFCL के प्रबंध निदेशक और इन लेन-देन से लाभान्वित होने वाले व्यक्तियों को प्रश्नावली भेजी है. इसी क्रम में हमें चोला सेक्रेटेरिएट से प्रतिक्रिया प्राप्त हुई जो कुछ इस तरह है.

‘हमें 22 दिसंबर 2025 का आपका ईमेल प्राप्त हुआ है (जिसमें 24 घंटों के भीतर रिपोर्ट प्रकाशित करने/प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने का दावा किया गया है) जो ग्रुप के कर्मचारियों/कंपनियों की कई ईमेल आईडी पर भेजा गया था, जिसमें विधिवत ऑडिट किए गए और संबंधित नियामक निकायों के पास प्रस्तुत किए गए संस्थाओं के व्यक्तिगत कर्मचारियों/व्यावसायिक संचालन के बारे में कई जानकारी/स्पष्टीकरण मांगे गए थे.

हम पुष्टि करते हैं कि व्यवसायों के सभी लेन-देन देश के कानूनों के अनुसार और लागू नियामक दिशानिर्देशों के अनुपालन में किए जाते हैं. आवश्यकता पड़ने पर व्यक्ति/व्यवसाय संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह होंगे.

उपरोक्त विषय पर किसी भी प्रकार का आगे का ईमेल/प्रकाशन/प्रेस कॉन्फ्रेंस, जिसमें हमारे व्यवसाय/ग्रुप/परिवार के सदस्यों की छवि को धूमिल करने या बदनाम करने का आपराधिक इरादा निहित हो, आपके द्वारा स्वयं वहन किए जाने पर कानून के पूर्ण दंड का सामना करना पड़ेगा.

अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता’

 उपरोक्त ईमेल में अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के हस्ताक्षर या उनका नाम नहीं था. इस जवाब में हमारी जांच के निष्कर्षों से संबंधित कई सवालों के जवाब नहीं दिए गए हैं. कोबरापोस्ट मुरुगप्पा ग्रुप या उनके परिवार के सदस्यों को बदनाम करने या उनकी छवि खराब करने के किसी भी आपराधिक इरादे से इनकार करता है. कोबरापोस्ट पत्रकारों और मीडिया को डराने-धमकाने के इस स्पष्ट प्रयास की भी कड़ी निंदा करता है. जैसे ही हमें उनके और जवाब या उनके वर्जन मिलेंगे, हम उन्हें भी प्रकाशित करेंगे.

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