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व्यापार (Business Learning: You must have heard or read about small cap, mid cap or large cap funds on TV or in newspapers at some point of time) : स्मॉल, मिड और लार्ज कैप फंड के बारे में जानने से पहले आपको मार्केट कैपिटलाइजेशन के बारे में समझना जरूरी है।
जब भी कोई निवेश करने के बारे में सोचता है तो अक्सर शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड का ख्याल आता है। लेकिन बाजार की जटिलताएं अक्सर लोगों को निवेश करने से पहले डरा देते है। आपने कभी न कभी टीवी या अखबार में स्मॉल कैप, मिड कैप या लार्ज कैप फंड के बारे में सुना या पढ़ा होगा। अगर आप शेयर बाजार में नए हैं तो आए दिन आपका सामना इन सब टर्म से हुआ होगा। स्मॉल, मिड और लार्ज कैप फंड के बारे में जानने से पहले आपको मार्केट कैपिटलाइजेशन के बारे में समझना जरूरी है।
कंपनी के शेयरधारकों के स्वामित्व वाले सभी शेयरों के मार्केट वैल्यू को मार्केट कैपिटलाइजेशन कहते हैं। किसी भी कंपनी का मूल्य कितना है यह शेयर बाजार से पता चलता है। इसकी गणना कंपनी के बकाया शेयरों (कंपनी के सभी शेयर जो शेयर धारकों के पास हैं) की पूरी संख्या को एक शेयर के मौजूदा बाजार मूल्य से गुणा करके की जाती है, जिसे आमतौर पर ‘मार्केट कैप’ कहा जाता है।
लार्ज कैप: मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर शेयर बाजार में सूचीबद्ध शीर्ष 100 कंपनियों को लार्ज-कैप कंपनियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। लार्ज-कैप से कंपनियों को होल्ड करने वाले म्यूचुअल फंड को ‘लार्ज-कैप फंड’ कहा जाता है। आमतौर पर लार्ज कैप कंपनियों का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा होता है और इनकी मार्केट कैप 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक होती है। लार्ज कैप कंपनियों को ही ब्लू चिप स्टॉक भी कहा जाता है।
मिड कैप: साल 2017 में सेबी के नियमों के अनुसार मार्केट कैपिटलाइजेशन के मामले में 101 से 250 तक रैंक वाली कंपनियों को मिड-कैप कंपनी कहा जाता है। इन कंपनियों का मार्केट कैप करीब 5000 से 20000 करोड़ रुपए होता है। म्युचुअल फंड जो मिड-कैप से स्टॉक रखते हैं, उन्हें ‘मिड-कैप फंड’ कहा जाता है।
स्मॉल कैप:- मार्केट कैपिटलाइजेशन के मामले में 251वें स्थान से आगे की कंपनियों को स्मॉल-कैप कंपनियों के रूप में जाना जाता है। इन कंपनियों का मार्केट कैप 5000 करोड़ रुपए से कम है। स्मॉल-कैप से स्टॉक रखने वाले म्यूचुअल फंड को ‘स्मॉल-कैप फंड’ कहा जाता है।
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