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इंडिया न्यूज, Business News (Crude Oil Prices): मंदी की आशंकाओं के चलते अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमतों में गिरावट जारी है। मंगलवार 5 जुलाई को अमेरिकी क्रूड आयल बेंचमार्क 100 डॉलर से नीचे आ गया। वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 8 प्रतिशत या 8.67 डॉलर की गिरावट के साथ 99.76 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। 11 मई के बाद यह पहली बार हुआ है जब अमेरिकी क्रूड आयल फिर से 100 डॉलर के नीचे आ गया।
इससे पहले, 28 फरवरी को यह 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास था और 7 मार्च को 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था जोकि 14 साल का उच्चतम स्तर था। यूरोजोन के आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने लगभग सभी यूरोपीय देशों की ग्रोथ धीमी हुई है। ऐसे भी संकेत मिले हैं कि इस तिमाही के दौरान इस इलाके की ग्रोथ में और गिरावट आ सकती है क्योंकि कॉस्ट आफ लिविंग बढ़ने से लोग खर्च भी घटा रहे हैं।
दरअसल, अमेरिका में मंदी के कारण ग्लोबल लेवल पर मंदी के बादल हैं। यदि ऐसा होता है तो मांग घट जाएगी और सप्लाई चेन भी धीमा हो जाएगा और तेल की डिमांड कम हो जाएगी। इसी कारण कच्चे तेल की कीमतों में कमी आ रही है। भारतीय समय के अनुसार रात करीब 8 बजे, ब्रेंट क्रूड $6.65 यानि कि 5.9 फीसदी की गिरावट के साथ $106.85 प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत को राहत मिल सकती है। दरअसल, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयात करता है। वहीं चीन में कोरोना वायरस केस बढ़ने के कारण तेल की मांग पर उल्टा असर हो सकता है। इसके अलावा यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध विराम को लेकर भी बातचीत जारी है। यहां से कोई शुभ संकेत मिल सकते हैं। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत का आयात बिल कम होगा।
गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार चढ़ाव के बावजूद भारत में तेल की कीमतें 131 दिन से स्थिर हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन आयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। कच्चे माल की लागत में 60 प्रतिशत से अधिक के उछाल के बावजूद कीमतें स्थिर हैं।
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