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फ्लैट खुला करेंसी बाजार, रुपये में 1 पैसे की मामूली कमजोरी

Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : August 25, 2022, 12:14 pm IST
फ्लैट खुला करेंसी बाजार, रुपये में 1 पैसे की मामूली कमजोरी

Currency Market 25 August

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Currency Market 25 August): आज रुपया डॉलर के मुकाबले मामूली कमजोरी के साथ खुला। विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 1 पैसे की कमजोरी के साथ 79.80 रुपये के स्तर पर खुला। इससे पहले बीते दिन बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे की मजबूती के साथ 79.81 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

बता दें कि आज शेयर बाजार में भी तेजी का माहौली है। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख इंडेक्स मजबूत हुए हैं। सेंसेक्स 250 अंकों के उछाल के साथ 59330 पर और निफ्टी 75 अंकों की तेजी के साथ 17680 पर कारोबार कर रहा है। निफ्टी पर बैंक और फाइनेंशियल इंडेक्स आधा फीसदी से ज्यादा मजबूत हुए हैं। इनके अलावा आईटी, बैंक, फाइनेंशियल, एफएमसीजी, फार्मा और रियल्टी इंडेक्स भी मजबूत हुए हैं। अत: कारोबार में आज चौतरफा तेजी देखी जा रही है।

आखिरी 5 दिनों में कैसा रहा रुपया का क्लोजिंग लेवल

गौरतलब है कि बीते दिन बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे की मजबूती के साथ 79.81 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। इससे पहले डॉलर के मुकाबले रुपया 1 पैसे की मजबूती के साथ 79.86 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। जबकि सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में 9 पैसे की कमजोरी आई थी और यह 79.87 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 10 पैसे की कमजोरी के साथ 79.78 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

Currency Market

रुपये के कमजोर या मजबूत होने का असर

रुपया की कीमत बढ़ने और कम होने से देश के आयात एवं निर्यात पर खासा असर पड़ता है। रुपया की कीमत डॉलर के तुलना में मांग एवं आपूर्ति से तय होती है। दरअसल, हर देश अपने पास विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है। इससे वह देश के आयात होने वाली वस्तुओं का भुगतान करता है। वहीं रिजर्व बैंक आफ इंडिया हर सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार से जुड़े आंकड़े जारी करता है। देश में विदेशी मुद्रा भंडार कितना बढ़ा या घटा है और उस दौरान देश में डॉलर की मांग क्या है, इससे भी रुपये की मजबूती या कमजोरी तय होती है।

डॉलर महंगा होने पर क्या असर होता है

डॉलर महंगा या सस्ता होने पर देश के आयात पर सीधा असर करता है। जैसे कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 फीसदी क्रूड आयल आयात करता है। इसका भुगतान डॉलर में करना होता है। यदि डॉलर महंगा होता है तो हमें ज्यादा कीमत देनी पड़ती है। भारत को काफी ज्यादा खर्च करना पड़ता है। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बनाता है और इस कारण रुपये की कीमत भी प्रभावित होती है।

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