क्या था EPFO के पुराने नियम में?
पहले, कर्मचारियों को जॉब पर्सनल टाइम फॉर्म 13 भरना पड़ता था, जिसमें पिछले और नए नियोक्ताओं के बारे में ज़रूरी जानकारी होती थी. इस प्रक्रिया में एक से दो महीने लगते थे और अक्सर तकनीकी चुनौतियों या रुचि की कमी के कारण इसे अस्वीकार कर दिया जाता था. अब नई स्वचालित लिस्टिंग प्रणाली के तहत यह समस्या समाप्त हो जाएगी. EPFO का कहना है कि पोस्टिंग प्रक्रिया अब केवल तीन से पांच दिनों में पूरी हो जाएगी, जिससे कर्मचारियों को तेज़, लचीला और परेशानी मुक्त अनुभव मिलेगा.
क्या हैं EPFO का नया नियम?
EPFO ने PF ट्रांसफर सिस्टम को काफी आसान बना दिया है. ज़्यादातर मामलों में, अब पिछले या वर्तमान नियोक्ता के माध्यम से ऑनलाइन ट्रांसफर क्लेम जमा करने की ज़रूरत नहीं होगी. नए नियमों के तहत, ट्रांसफर क्लेम सीधे ईपीएफओ को भेजे जाएँगे, जिससे नियोक्ता के हस्तक्षेप की ज़रूरत खत्म हो जाएगा. इस सरलीकृत प्रक्रिया से क्लेम निपटान का समय काफी कम हो गया है. सदस्यों की शिकायतों और क्लेम अस्वीकृति में भी कमी आई है. बड़े नियोक्ताओं को भी इस सुव्यवस्थित प्रणाली से काफी लाभ हुआ है, क्योंकि पहले ऐसे ट्रांसफर को मंज़ूरी देने का पूरा भार उन्हीं पर होता था.
क्या होगा इसका फायदा?
- अब ट्रांसफर महीनों की बजाय कुछ ही दिनों में पूरा हो जाएगा.
- कोई भी दस्तावेज़ अपलोड करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सिस्टम स्वचालित रूप से ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी कर लेगा.
- ट्रांसफर प्रक्रिया के दौरान ईपीएफ बैलेंस पर ब्याज मिलता रहेगा.
- सेवानिवृत्ति के समय पूरी राशि एक ही खाते में उपलब्ध होगी.
- नौकरी बदलना, खासकर निजी क्षेत्र में, अब आसान और सुविधाजनक हो गया है.