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EPFO Latest Updates: देशभर के लाखों कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर आने वाली है. Employees Provident Fund Organisation (EPFO) जल्द ही एक बड़ा फैसला ले सकता है, जिससे कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा और भविष्य की बचत को नया आयाम मिलेगा. खबरों के मुताबिक, EPFO की अगली बैठक में EPF (Employees Provident Fund) और EPS (Employees Pension Scheme) में शामिल होने की न्यूनतम वेतन सीमा को ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 प्रति माह करने पर विचार किया जाएगा. यदि यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों को इसका सीधा फायदा मिलेगा. यह फैसला दिसंबर 2025 या जनवरी 2026 में होने वाली सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में लिया जा सकता है.
क्या है मौजूदा नियम?
वर्तमान में वे कर्मचारी जिनका मूल वेतन ₹15,000 या उससे कम है, वे EPF और EPS योजनाओं के दायरे में आते हैं. जबकि इससे अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को इसमें शामिल होने या बाहर रहने का विकल्प होता है. यह नियम 2014 में तय किया गया था, जब सरकार ने आखिरी बार वेतन सीमा में बदलाव किया था. यानी पूरे 10 साल बाद एक बार फिर इस सीमा में संशोधन की संभावना बन रही है.
क्या बदल सकता है नया प्रस्ताव?
सूत्रों के अनुसार, श्रम मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने संकेत दिया है कि EPF और EPS की पात्रता सीमा को ₹10,000 तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे यह ₹25,000 तक पहुंच जाएगी. इस बदलाव से न केवल लाखों नए कर्मचारी इन योजनाओं के तहत आएंगे, बल्कि कर्मचारियों की दीर्घकालिक बचत और पेंशन सुरक्षा भी मजबूत होगी. माना जा रहा है कि यह निर्णय लागू होने पर लगभग 1 करोड़ नए कर्मचारी ईपीएफ के सदस्य बन सकते हैं.
क्या है EPF और EPS में योगदान का नियम?
मौजूदा प्रावधानों के अनुसार कर्मचारी अपनी सैलरी का 12% हिस्सा EPF में जमा करता है. नियोक्ता (Employer) भी 12% योगदान करता है, जिसमें से 3.67% EPF खाते में जाता है, 8.33% EPS (Employees Pension Scheme) में जमा होता है. इस तरह दोनों मिलकर कर्मचारी के भविष्य के लिए एक मजबूत आर्थिक सुरक्षा कवच तैयार करते हैं.
EPFO की वर्तमान स्थिति
इस समय EPFO देश का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा संगठन है, जो लगभग 26 लाख करोड़ रुपये का फंड मैनेज कर रहा है. देशभर में इसके 7.6 करोड़ एक्टिव सदस्य हैं, जिनकी संख्या हर साल बढ़ रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर न्यूनतम वेतन सीमा बढ़ाई जाती है, तो इससे औपचारिक क्षेत्र (formal sector) में काम करने वाले अधिक कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आएंगे, जिससे उनकी वित्तीय स्थिरता और भविष्य की सुरक्षा में सुधार होगा.