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मुद्रास्फीति को कम करने के लिए 2 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पर विचार कर रही सरकार!

India News Desk • LAST UPDATED : May 23, 2022, 11:57 am IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
केंद्र सरकार की ओर से महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिशें जारी हैं। 2 दिन पहले ही केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज डयूटी कम गई थी जिसके बाद लोगों को थोड़ी राहत मिली। वहीं अब बताया जा रहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़ती कीमतों से बचाने और बहु-वर्षीय उच्च मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए अतिरिक्त 2 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पर विचार कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक दो सरकारी अधिकारियों ने बताया है कि महंगाई कम करने के लिए पेट्रोल और डीजल पर कर कटौती की गई है। इससे सरकारी राजस्व पर 1 लाख करोड़ रुपए का असर पड़ेगा। बताया गया है कि भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 8 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई जबकि थोक मुद्रास्फीति कम से कम 17 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई। यह इस साल केंद्र सरकार के लिए प्रमुख सिरदर्द बन गई।

दोनों अधिकारियों ने कहा कि सरकार का अनुमान है कि उर्वरकों को सब्सिडी देने के लिए अतिरिक्त 500 बिलियन भारतीय रुपये की आवश्यकता होगी, वर्तमान अनुमान 2.15 ट्रिलियन रुपये है। एक अधिकारी ने बताया है कि यूक्रेन संकट का प्रभाव किसी की कल्पना से भी बदतर था। लेकिन हम पूरी तरह से मुद्रास्फीति को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

दूसरे अधिकारी ने कहा कि अगर कच्चे तेल में बढ़ोतरी जारी रहती है तो सरकार पेट्रोल और डीजल पर कर कटौती का एक और दौर दे सकती है। यानि कि 1 अप्रैल से शुरू होने वाले 2022/23 वित्तीय वर्ष में 1 ट्रिलियन-1.5 ट्रिलियन रुपये की अतिरिक्त हिट हो सकती है। बताया कि सरकार को इन उपायों के लिए बाजार से अतिरिक्त रकम उधार लेने की आवश्यकता हो सकती है। इसका मतलब 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 6.4 प्रतिशत के घाटे के लक्ष्य से फिसलन हो सकता है।

गेहूं के निर्यात पर लगाई रोक

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई थी। देश में लगातार महंगाई बढ़ने से आटे की कीमत काफी बढ़ गई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2010 के बाद आटे की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। 9 मई को देश में एक किलो आटे की औसत कीमत 32.91 रुपये रही थी।

सिर्फ एक साल में ही एक किलो आटे की कीमत 4 रुपये से ज्यादा का उछाल आया था जिस कारण गरीब लोगों पर इसका काफी भार बढ़ा था। इतना ही नहीं, मुंबई समेत कई जगहों पर तो एक किलो आटा 49 रुपए तक पहुंच गया था। ऐसे में देश में गेहूं और आटे की कीमत कंट्रोल करने के लिए गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई गई थी।

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