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क्या इनकम टैक्स ऑफिसर आपके बैंक, सोशल मीडिया अकाउंट्स को एक्सेस कर सकते हैं? जानें क्या है पूरा सच

Income Tax Digital surveillance News: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट 1 अप्रैल 2026 से सभी टैक्सपेयर्स के सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल और दूसरे डिजिटल प्लेटफॉर्म तक डायरेक्ट एक्सेस पा लेगा.

Written By: Divyanshi Singh
Last Updated: December 23, 2025 13:52:13 IST

 Income Tax Digital surveillance News : हाल ही में सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट 1 अप्रैल 2026 से सभी टैक्सपेयर्स के सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल और दूसरे डिजिटल प्लेटफॉर्म तक डायरेक्ट एक्सेस पा लेगा. इस खबर ने नागरिकों और टैक्सपेयर्स दोनों के बीच प्राइवेसी की चिंता बढ़ा दी. हालांकि, प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट-चेकिंग यूनिट ने इस दावे को पूरी तरह से गुमराह करने वाला और झूठा बताया है.

क्या है पूरा मामला?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर @IndianTechGuide हैंडल से एक पोस्ट शेयर की गई, जिसमें कहा गया कि सरकार अब नागरिकों की डिजिटल एक्टिविटीज़ पर कड़ी नज़र रखेगी. इस गुमराह करने वाली पोस्ट में दावा किया गया कि नए इनकम टैक्स नियमों के तहत, डिपार्टमेंट को किसी भी व्यक्ति के पर्सनल डिजिटल स्पेस की तलाशी लेने का अधिकार होगा.

 PIB ने जारी की फैक्ट-चेक रिपोर्ट

PIB ने पोस्ट को भ्रामक बताते हुए कहा कि आयकर अधिनियम 2025 के प्रावधानों के तहत ऐसे उपाय ‘तलाशी और सर्वेक्षण’ कार्यों तक सीमित रहेंगे, जिसका अर्थ है कि ईमानदार करदाता अप्रभावित रहेंगे.

PIB ने कहा, “जब तक कोई करदाता महत्वपूर्ण कर चोरी के सबूत के कारण औपचारिक तलाशी अभियान से नहीं गुजर रहा है, तब तक विभाग के पास उनके निजी डिजिटल स्थानों तक पहुंचने का कोई अधिकार नहीं है,” 

PIB के अनुसार, आयकर विभाग नियमित मूल्यांकन, डेटा प्रोसेसिंग या जांच मामलों के लिए निजी डिजिटल प्लेटफॉर्म तक नहीं पहुंच सकता “ये उपाय खास तौर पर सर्च और सर्वे के दौरान काले धन और बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी को टारगेट करने के लिए बनाए गए हैं, न कि रोज़ाना कानून मानने वाले नागरिकों को.” फैक्ट-चेकिंग यूनिट ने यह भी कहा कि सर्च और सर्वे ऑपरेशन के दौरान डॉक्यूमेंट्स और सबूत ज़ब्त करने की पावर 1961 के एक्ट से ही मौजूद है.

इनकम टैक्स एक्ट 2025

1 अप्रैल, 2026 से पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 को आसान, मॉडर्न इनकम टैक्स एक्ट 2025 से बदल दिया जाएगा. नया टैक्स कानून 1961 एक्ट के 819 मुश्किल सेक्शन को कम करके कम और साफ प्रोविज़न में कम्प्लायंस को आसान बनाता है.

पिछले कानून का सेक्शन 132 अधिकारियों को प्रॉपर्टी में घुसने, डॉक्यूमेंट्स या इक्विपमेंट ज़ब्त करने और डिजिटल डेटा एक्सेस करने की इजाज़त देता था. नया सेक्शन 247 यह बताता है कि एक ऑथराइज़्ड ऑफिसर कंप्यूटर सिस्टम या ‘वर्चुअल डिजिटल स्पेस’ के एक्सेस कोड को “ओवर-राइड” करके एक्सेस पा सकता है.

ज़्यादातर गलत इरादे वाले लोग अपना डेटा सर्वर और स्टोरेज में सेव करते हैं इसलिए डिजिटल अकाउंट से सबूत इकट्ठा करना न सिर्फ़ कोर्ट में टैक्स चोरी साबित करने के लिए “ज़रूरी” है, बल्कि टैक्स चोरी की सही रकम का हिसाब लगाने के लिए भी ज़रूरी है.

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