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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Inflation In July): बीते महीने जुलाई 2022 में खाने-पीनों की चीजों और तेल के भाव में नरमी आई है जिस कारण महंगाई के मोर्चे पर जनता को थोड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी किए आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आधारित रिटेल महंगाई दर जुलाई में घटकर 6.7 प्रतिशत हो गई। जून में ये 7.01% थी। महंगाई का ये 5 महीनों का निचला स्तर है।
हालांकि सालाना आधार पर अभी भी खुदरा महंगाई दर में उछाल रही क्योंकि पिछले साल जुलाई 2021 में यह 5.51 फीसदी पर थी। लेकिन चिंता की बात ये है कि अभी भी यह केंद्रीय बैंक आरबीआई के तय दायरे की ऊपरी लिमिट 6 फीसदी से ऊपर है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के शुरूआती तीन महीनों में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित रिटेल इंफ्लेशन 7 फीसदी से ऊपर थी लेकिन फूड इंफ्लेशन में गिरावट के चलते पिछले महीने यह सात फीसदी से नीचे फिसली।
इस बारे में रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि बेस इफेक्ट के चलते अगले 2 महीने सीपीआई इंफ्लेशन में उछाल दिख सकती है। वहीं सितंबर 2022 में एमपीसी की बैठक के बाद रेपो रेट में 10-35 बीपीएस (0.10 फीसदी-0.35 फीसदी) की बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
दूसरी ओर कोटक महिंद्रा बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज के मुताबिक फूड इंफ्लेशन में नरमी के चलते जुलाई में उम्मीद के मुताबिक ही खुदरा महंगाई दर में नरमी दिखी लेकिन कोर इंफ्लेशन अभी भी ऊंची बनी हुई है। थोड़ी चिंता की बात है कि जनवरी 2023 तक खुदरा महंगाई दर आरबीआई के तय दायरे की ऊपरी सीमा 6 फीसदी से ऊपर बने रहने के आसार दिख रहे हैं।
गौरतलब है कि महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। यदि लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। कीमत बढ़ने से महंगाई की मार पड़ती है।
महंगाई को कंट्रोल करने के लिए आरबीआई कई तरह के कदम उठाता है। जैसे बाजार में पैसों के अत्यधिक बहाव (लिक्विडिटी) को कम किया जाता है। बढ़ती महंगाई से चिंतित आरबीआई ने हाल ही में रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 4.90% से बढ़कर 5.40% हो गया है।
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