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मोदी सरकार ने दी बड़ी खुशखबरी, करीब 24 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को होगा फायदा, जानिए क्या है वो तोहफा!

Voluntary Retirement pension: सरकार के इस फैसले से खासकर उन कर्मचारियों को राहत मिली है जो किसी विशेष परिस्थिति या निजी कारणों से नौकरी पूरी होने से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेना चाहते हैं.

Written By: Ashish kumar Rai
Last Updated: September 11, 2025 20:10:17 IST

7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को पेंशन से जुड़ी बड़ी राहत दी है. आठवें वेतन आयोग और महंगाई भत्ते (डीए) से पहले कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा को मज़बूत करने की दिशा में यह कदम अहम माना जा रहा है.

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एकीकृत पेंशन योजना के तहत बड़ा बदलाव

नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई केंद्रीय कर्मचारी एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेता है, तो उसे तुरंत पेंशन का लाभ मिलेगा. पहले की व्यवस्था में कर्मचारियों को पेंशन पाने के लिए वास्तविक सेवानिवृत्ति की आयु तक इंतज़ार करना पड़ता था. इस फैसले से सेवानिवृत्त होते ही वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वालों को राहत

सरकार के इस फैसले से खासकर उन कर्मचारियों को राहत मिली है जो किसी विशेष परिस्थिति या निजी कारणों से नौकरी पूरी होने से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेना चाहते हैं. अब उन्हें सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद पेंशन मिलने से आर्थिक चिंताओं से मुक्ति मिलेगी.

यूपीएस बना एनपीएस का विकल्प

केंद्र सरकार ने लगभग 24 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) का विकल्प प्रदान करने के लिए एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) शुरू की. यूपीएस में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) और नई पेंशन योजना (एनपीएस) के कुछ प्रावधानों को मिलाकर एक नया मॉडल तैयार किया गया. इस योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को अधिक लचीलापन और सुरक्षा प्रदान करना था.

एनपीएस की कमियाँ और यूपीएस का समाधान

कर्मचारियों और यूनियनों ने एनपीएस को लेकर कई कमियाँ बताई थीं. खासकर, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मचारियों को वास्तविक सेवानिवृत्ति की आयु तक पेंशन की सुविधा नहीं दी जाती थी. यूपीएस ने इस कमी को दूर करने का प्रयास किया है. हालाँकि, बड़ी संख्या में कर्मचारी अभी भी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने की मांग कर रहे हैं.

ओपीएस से यूपीएस तक का सफर

मालूम हो, मोदी सरकार ने साल 2004 में ओपीएस को खत्म करके एनपीएस लागू किया था. इस योजना में सशस्त्र बलों को शामिल नहीं किया गया था. लेकिन समय-समय पर बढ़ती मांग और आलोचना के बाद, यूपीएस की शुरुआत की गई, ताकि ओपीएस और एनपीएस दोनों के लाभों को मिलाकर एक नया विकल्प तैयार किया जा सके.

5 महीने बाद भी धीमी गति

सरकार की उम्मीदों के बावजूद, यूपीएस को कर्मचारियों द्वारा बड़े पैमाने पर नहीं अपनाया गया है. लगभग 5 महीने बाद भी, केवल 1% केंद्रीय कर्मचारी ही इस योजना से जुड़ पाए हैं. इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि कर्मचारी अभी भी इस नई व्यवस्था से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं.

कर्मचारियों की मांग और असंतोष

कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग और उनके संघ अभी भी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं. उनका मानना ​​है कि ओपीएस बेहतर और स्थायी सुरक्षा प्रदान करता था. यूपीएस की घोषणा के बावजूद, कर्मचारियों में असंतोष बना हुआ है और सरकार से इसे फिर से लागू करने की मांग ज़ोर पकड़ रही है.

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