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Muthoot Finance Gold Reserve: सोने की कीमतों का आसमान छूना कोई नई बात नहीं है. लेकिन इस बार कहानी सिर्फ सोने की बढ़ती कीमतों की नहीं, बल्कि उस हकीकत की है, जो शायद बहुतों को चौंका दे. दुनिया भर में जब सेंट्रल बैंक गोल्ड रिजर्व इकट्ठा करने की होड़ में हैं चाहे वो चीन का पीपुल्स बैंक हो या भारत का आरबीआई वैसे ही भारत की एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) ने अपने खजाने में इतना सोना जमा कर लिया है कि वह पाकिस्तान जैसे पूरे देश से कई गुना आगे निकल गई है. जी हां, हम बात कर रहे हैं मुथूट फाइनेंस की. गोल्ड लोन बिजनेस का यह दिग्गज संस्थान अपने सेफ डिपॉजिट बॉक्सों में करीब 209 टन सोना संभाले बैठा है. यह आंकड़ा अपने आप में बेमिसाल है क्योंकि पाकिस्तान के पूरे स्वर्ण भंडार से यह तीन गुना से भी ज्यादा है. दिलचस्प बात तो यह है कि मुथूट के पास इतना सोना है जितना ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसे देशों के पास भी नहीं है.
क्या है पाकिस्तान का हाल?
जनवरी 2025 तक पाकिस्तान के पास महज 64.7 टन सोना था और वह गोल्ड रिजर्व के मामले में दुनिया की लिस्ट में 49वें स्थान पर था. दूसरी ओर, भारत में सिर्फ एक NBFC—मुथूट फाइनेंस—ने ही 200 टन से ज्यादा सोना जमा कर रखा है. इससे साफ होता है कि आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहे पाकिस्तान के पास भले ही बलूचिस्तान की रेको दिक खदान जैसी सोने की संपत्ति हो, लेकिन उसका इस्तेमाल करने की क्षमता और स्थिर माहौल की कमी ने उसे पीछे छोड़ दिया है.
क्यों बढ़ी गोल्ड लोन कंपनियों पर नजर?
सोने की इस चमक का असर शेयर बाजार तक पहुंच चुका है. निवेशकों की नजर अब मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसी गोल्ड फाइनेंस कंपनियों पर है. आर्थिक अनिश्चितता के दौर में सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है और यही वजह है कि इन कंपनियों के शेयरों की डिमांड भी तेजी से बढ़ रही है. मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि जहां मुथूट फाइनेंस स्थिरता की पहचान है, वहीं मणप्पुरम फाइनेंस निकट भविष्य में तेज ग्रोथ के मौके दिखा रही है. त्योहारी सीजन में इनकी असली चमक दिखाई दे सकती है, क्योंकि भारत में नवरात्रि, दुर्गा पूजा और दिवाली जैसे त्योहारों पर सोने की मांग हमेशा उफान पर रहती है.
सोने की कीमतें के ऐतिहासिक रिकॉर्ड
इस साल की शुरुआत से ही गोल्ड मार्केट में तेजी का तूफान आया है. 1 जनवरी 2025 से अब तक सोने की कीमतें करीब 45% बढ़ चुकी हैं. सोमवार को यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में 3,848 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया. यह उछाल 1970 के दशक की याद दिलाता है, जब ईरान क्रांति और तेल संकट के चलते सोने के दामों में 126% की बढ़ोतरी हुई थी.