EPFO withdrawl rules: सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के नियमों में बदलाव पर विचार कर रही है ताकि मेंबर्स को अपनी बचत का अधिक उपयोग करने की स्वतंत्रता मिल सके. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी आवास, विवाह और शिक्षा जैसे उद्देश्यों के लिए निकासी की सीमा को आसान बनाने पर काम कर रहे हैं.
एक साल के अंदर हो सकता है बदलाव
दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने मनीकंट्रोल को बताया कि हालांकि अभी कोई समय-सीमा तय नहीं है लेकिन केंद्र एक साल के भीतर ये बदलाव लाने पर विचार कर रहा है. एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हम सदस्यों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाना चाहते यह उनका पैसा है उन्हें अपनी ज़रूरतों के अनुसार अपने फंड का प्रबंधन करने की आज़ादी होनी चाहिए.
वर्तमान निकासी नियम (CURRENT WITHDRAWAL RULES)
- वर्तमान में EPFO सदस्य अपनी पूरी राशि 58 वर्ष की रिटायरमेंट एज प्राप्त करने के बाद ही निकाल सकते हैं या यदि वे दो महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहते हैं. वहीं वह अपने फंड के छोटे से भाग को विशिष्ट परिस्थितियों में निकाल सकते हैं.
- शादी के लिए अगर कोई पैसा निकालना चाहता है तो वह तभी निकाल सकता है जब वो कम से कम सात साल सर्विस में रह चुका हो. वह सदस्य विवाह के लिए अपने अंशदान और अर्जित ब्याज का 50% तक निकाल सकता है। यह न केवल उनकी अपनी शादी पर, बल्कि भाई-बहन या बच्चे की शादी पर भी लागू होता है.
- वहीं अगर कोई घर खरीदना चाहता है तो वही सदस्य पैसे निकाल सकता है जो कम से कम तीन साल की सेवा पूरी कर ली हो.आवास के लिए निकासी की सीमा कुल संचित राशि का 90% तक है. वहीं संपत्ति सदस्य उनके जीवनसाथी या संयुक्त स्वामित्व के नाम पर होनी चाहिए .
- शिक्षा के लिए कोई सदस्य ब्याज सहित अपने अंशदान का 50% तक निकाल सकता है लेकिन इसके लिए भी कम से कम सात साल की सेवा आवश्यक है। यह केवल बच्चों की मैट्रिक के बाद की शिक्षा के लिए लागू है।
कैसा बदलाव करना चाहती है सरकार
मनीकंट्रोल ने जुलाई में पहले बताया था कि सरकार एक नए फ्रेमवर्क पर विचार कर रही है जिसके तहत EPFO सदस्यों को हर 10 साल में एक बार पूरी राशि या उसका एक हिस्सा निकालने की अनुमति दी जा सकती है. एक अधिकारी ने कहा था कि हर 10 साल में प्रत्येक EPFO मेंमबर की संचित राशि में कुछ वृद्धि होगी उन्हें यह तय करना होगा कि उन्हें क्या करना है.
ये बदलाव EPFO नियमों को अधिक लचीला और जीवन के विभिन्न चरणों में सदस्यों की वित्तीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि नियमों में ढील देना विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वर्ग के ग्राहकों के लिए मददगार होगा जिन्हें अक्सर तत्काल नकदी की आवश्यकता होती है.
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