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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (RBI Monetary Policy Committee): भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज शुरू होगी। बैठक में केंद्रीय बैंक नीतिगत फैसले करेगा। 3 दिनों तक चलने वाली बैठक के बाद 5 अगस्त को आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास इन फैसलों की घोषणा करेंगे। पहले से अनुमान के मुताबिक आरबीआई इस बैठक में रेपो रेट को एक बार फिर बढ़ा सकता है।
इससे पहले हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में भी आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी। मई महीने में एमपीसी की बैठक के दौरान रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.90% कर दिया गया था। हर 2 महीने पर होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक की शुरूआत आज से हो रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार भी आरबीआई रेपो रेट में 0.25% से 0.35% की बढ़ोतरी कर सकता है। दरअसल, देश में महंगाई की दर अभी भी आरबीआई के तय लक्ष्य के ऊपर है। इसे काबू करने के लिए आरबीआई कई तरह के कदम उठा रहा है। एमपीसी की बैठक के दौरान रेपो रेट में इजाफा करने का फैसला एक बार फिर लिया जा सकता है।
जून के महीने में महंगाई की दर 7.01 प्रतिशत रही। यह लगातार छठी बार है जब महंगाई की दर आरबीआई की तय सीमा छह फीसदी से अधिक रही है। इससे पहले मई महीने में खुदरा महंगाई दर 7.04 थी। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय बैंक आरबीआई ने साल 2022-23 के लिए महंगाई दर के अनुमान को भी 5.7 फीसदी से बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है।
बाजार में मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई रेपो रेट का इस्तेमाल करता है। जब बाजार में महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है। रेपो रेट बढ़ने से बैंक आरबीआई से जो पैसे लेंगे, उन्हेंं वह पैसा बढ़ी हुई ब्याज दर पर मिलेगा। ब्याज दर बढ़ने से बैंक आरबीआई से कम पैसा लेंगे और बाजार में मुद्रा के प्रवाह नियंत्रण बना रहेगा। इससे लोन महंगे हो जाते हैं। ऐसे में लोग लोन कम लेंगे और कम खर्च करेंगे। इससे बाजार में मांग घटेगी और पूरी प्रक्रिया से महंगाई को नियंत्रित करने से मदद मिलेगी।
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