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रुपया ने फिर बनाया रिकार्ड निचला स्तर, 79.8530 प्रति डॉलर पर आया

Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : July 14, 2022, 11:56 am IST
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रुपया ने फिर बनाया रिकार्ड निचला स्तर, 79.8530 प्रति डॉलर पर आया

Rupees Weak As Per Dollar

इंडिया न्यूज, Business News (Rupees Weak As Per Dollar): विदेशी मुद्रा बाजार में आज फिर से रुपये में डॉलर के मुकाबले कमजोरी आई है। आज के कारोबार में रुपया टूटकर 79.8530 प्रति डॉलर पर आ गया जोकि अबतक का सबसे निचला स्तर है। यह लगातार चौथा दिन है जब रुपये ने रिकॉर्ड लो लेवल बनाया। इससे पहले बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 3 पैसे की कमजोरी के साथ 79.63 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

जानिए पिछले 5 दिन में कब कब रुपया हुआ कमजोर

बीते दिन बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 3 पैसे की कमजोरी के साथ 79.63 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। इससे पहले मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 16 पैसे की कमजोरी के साथ 79.60 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। सोमवार को रुपया में 19 पैसे की कमजोरी आई और यह 79.44 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ।

शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 6 पैसे कमजोर होकर 79.25 रुपये के स्तर पर बंद हुआ। वहीं पिछले वीरवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे की मजबूती के साथ 79.17 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

शेयर बाजार में उतार चढ़ाव जारी

Share market

गौरतलब है कि आज शेयर बाजार में भी उतार चढ़ाव जारी है। शुरूआती कारोबार सेंसेक्स 200 अंक से ज्यादा मजबूत हुआ था। हालांकि फिलहाल ये तेजी कम हो गई है। सेंसेक्स मात्र 15 अंक ऊपर 53530 पर कारोबार कर रहा है जबकि निफ्टी में 5 अंकों की मामूली गिरावट आ गई है।

रुपये के कमजोर होने पर क्या असर होता है

बता दें कि रुपया की कीमत बढ़ने और कम होने से देश के आयात एवं निर्यात पर खासा असर पड़ता है। रुपया की कीमत डॉलर के तुलना में मांग एवं आपूर्ति से तय होती है। दरअसल, हर देश अपने पास विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है। इससे वह देश के आयात होने वाली वस्तुओं का भुगतान करता है। वहीं रिजर्व बैंक आफ इंडिया हर सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार से जुड़े आंकड़े जारी करता है। देश में विदेशी मुद्रा भंडार कितना बढ़ा या घटा है और उस दौरान देश में डॉलर की मांग क्या है, इससे भी रुपये की मजबूती या कमजोरी तय होती है।

डॉलर महंगा होने का असर

डॉलर महंगा या सस्ता होने पर देश के आयात पर सीधा असर करता है। जैसे कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 फीसदी क्रूड आयल आयात करता है। इसका भुगतान डॉलर में करना होता है। यदि डॉलर महंगा होता है तो हमें ज्यादा कीमत देनी पड़ती है। भारत को काफी ज्यादा खर्च करना पड़ता है। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बनाता है और इस कारण रुपये की कीमत भी प्रभावित होती है। वहीं यदि डॉलर सस्ता होता है तो खर्चा कम होता है। इससे राहत मिलती है। प्रतिदिन डॉलर में उतार चढ़ाव के कारण रुपये की स्थिति बदलती रहती है।

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