इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Semiconductor Chip: दुनिया में बन रहे सभी प्रोडक्ट्स की सांसे सिर्फ एक चिप सेमीकंडक्टर पर टिकी होती हैं। ऐसे में ये गैजेट्स और मशीन हर किसी के पास मिल जाएंगी। सेमीकंडक्टर एक ऐसी चिप है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं कि क्या होती है ये चिप और कैसे इसी के दम पर सारे गैजेट्स काम करते हैं। आइए जानते हैं।
बता दें कि देश में सेमीकंडक्टर चिप की कमी दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने 76 हजार करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दे दी है। इसके तहत आने वाले 6 साल में देश में सेमीकंडक्टर चिप के लिए इकोसिस्टम तैयार किया जाएगा। इसमें सेमीकंडक्टर डिजाइन, कॉम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग और डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट्स एस्टेब्लिश की जाएंगी।
सेमीकंडक्टर को आप इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का दिमाग समझिए। कंप्यूटर, लैपटॉप, कार, वॉशिंग मशीन, एटीएम, अस्पतालों की मशीन से लेकर हाथ में मौजूद स्मार्टफोन तक, इन सब में सेमीकंडक्टर की बेहद जरूरत पड़ती है।
बता दें ये चिप एक दिमाग की तरह इन गैजेट्स को आपरेट करने में मदद करती है। इनके बिना हर एक इलेक्ट्रॉनिक आइटम अधूरा है। सेमीकंडक्टर चिप सिलिकॉन से बने होते हैं और सर्किट में इलेक्ट्रिसिटी कंट्रोल करने के काम आते हैं।
ये चिप इलेक्ट्रॉनिक आइटम को आटोमैटिकली आपरेट करने में मदद करती है। उदाहरण के तौर पर, स्मार्ट वॉशिंग मशीन में कपड़े पूरी तरह धुलने के बाद आटोमैटिक मशीन बंद हो जाती है। इसी तरह कार में जब आप सीट बेल्ट लगाना भूल जाते हैं, तो कार आपको अलर्ट देती है। ये सेमीकंडक्टर की मदद से ही होता है।
दुनियाभर में सेमीकंडक्टर चिप्स की कमी कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद ही शुरू हो गई थी। दरअसल, लॉकडाउन की वजह से प्रोडक्ट्स की डिमांड कम थी। इस वजह से चिप का प्रोडक्शन भी कम हुआ। जैसे ही लॉकडाउन खुला तो इलेक्ट्रॉनिक चीजों की डिमांड बढ़ने लगी। अचानक बढ़ी मांग से डिमांड और सप्लाई का अंतर बढ़ गया जिसका नतीजा चिप शॉर्टेज के रूप में सामने आया। आशंका है कि 2022 तक चिप की कमी बनी रह सकती है।
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