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कांग्रेस में महत्वपूर्ण पद मिलने का इंतजार कर रहे कुलदीप बिश्नोई को कांग्रेस हाईकमान ने न तो सीएलपी और ना ही प्रदेशाध्यक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी उदय भान को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही कुलदीप बिश्नोई बेहद मायूस नजर आ रहे हैं।
पवन शर्मा, चंडीगढ़। लगभग 6 वर्षों से कांग्रेस में महत्वपूर्ण पद मिलने का इंतजार कर रहे कुलदीप बिश्नोई को कांग्रेस हाईकमान ने न तो सीएलपी और ना ही प्रदेशाध्यक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी। तीन दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी उदय भान को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही कुलदीप बिश्नोई बेहद मायूस नजर आ रहे हैं।
वह सार्वजनिक तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं और अपना दर्द बार-बार ट्विटर के माध्यम से जाहिर कर रहे हैं। शुक्रवार को भी कुलदीप बिश्नोई ने ट्वीट करके कहा की थोड़ा डूब लूंगा, मगर मैं फिर तैर लूंगा, ए जिंदगी तू देख मैं फिर जीत जाऊंगा।
हरियाणा कांग्रेस में मुलाना पार्ट 2 के साथ ही यह तो लगभग तय हो गया है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके नवनियुक्त शागिर्द प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को विपक्षी दलों से ज्यादा अपनी ही पार्टी के नेताओं से जूझना होगा। उदयभान के अध्यक्ष बनते ही जो सुर चौतरफा निकल रहे हैं उसने इस बात पर मुहर भी लगा दी है।
हिसार की बात करें तो कुलदीप बिश्नोई विरोध को तैयार हैं माना ये भी जा रहा है कि वे किसी भी हद तक जा सकते हैं क्योंकि इस एपिसोड में जिस तरह से भजन लाल परिवार की किरकिरी हुई है वह पहले कभी 2005 में हुई थी, जब भजनलाल की बजाय भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया गया था। इस बार सोनिया, राहुल और प्रियंका से मिलकर कुलदीप बिश्नोई फूले नहीं समा रहे थे लेकिन एक झटके में उनकी हवा निकल गई।
निश्चित तौर पर वे यहां से बगावत के सुर को प्रबल करेंगे। पिछले 2 दिनों से उनके ट्वीट इस बात का खुला संदेश दे रहे हैं। दूसरी तरफ कुमारी शैलजा बेआबरू होकर प्रदेश अध्यक्ष पद से विदा हुई हैं। रणदीप सुरजेवाला, अहीरवाल के नेता कैप्टन अजय यादव, बंसीलाल परिवार से किरण चौधरी सहित करीब एक दर्जन नेता उदयभान के मंच को मुश्किल ही साझा करेंगे।
इस बात का आभास इसी से लगाया जा सकता है कि नवनियुक्त चार कार्यकारी अध्यक्ष और एक प्रदेश अध्यक्ष अभी तक एक साथ मिले भी नहीं है। केवल उदय भान और जितेंद्र भारद्वाज को ही एक साथ देखा गया है।
बाकी तीन सुरेश गुप्ता को सुरजेवाला ग्रुप का माना जाता है, रामकिशन गुर्जर शैलजा ग्रुप से और श्रुति चौधरी किरण चौधरी की पुत्री है। जाहिर है कि ये तीन कार्यकारी अध्यक्ष मुश्किल ही नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष के साथ आएंगे।
मौलाना पार्ट 2 इसलिए कहा जा रहा है कि एक बार फिर हुड्डा को अपने हिसाब का प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। जैसे ही मुलाना प्रदेश अध्यक्ष पद से हटे तो न तो अशोक तंवर चल पाया और ना ही कुमारी शैलजा।
खास बात यह थी कि इन दोनों को ही प्रदेश अध्यक्ष आलाकमान ने बनाया था लेकिन इनकी एक नहीं चली। यहां तक की यह कार्यकारिणी का गठन तक नहीं कर सके और हुड्डा खेमे का इतना दबदबा रहा कि वह प्रदेश अध्यक्ष की अनुमति के बिना कार्यक्रम लगातार करते रहे।
अब बड़े दिनों के बाद 1 मई को होने वाले फरीदाबाद में विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम में सीएलपी व प्रदेश अध्यक्ष एक साथ नजर आएंगे। लम्बे समय के बाद हुड्डा के साथ किसी प्रदेश अध्यक्ष की फोटो पोस्टर में नजर आई है वरना मुलाना के बाद यह सब सपना ही हो गया था। यहां तक की दिग्गज नेता कमलनाथ, गुलाम नबी आजाद ने हरियाणा प्रभारी रहते हुए समझौतों के काफी प्रयास किए लेकिन खेमे बंदी ऐसी बढ़ती गई कि कई बड़े नेता तो पार्टी से विदा हो गए।
हालांकि चुनाव को अभी ढाई साल से ज्यादा का समय बाकी है लेकिन बीजेपी मन ही मन खुश हो रही है कि हरियाणा में एक बार फिर जाट गैर जाट का मुद्दा बलवती होगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है दो गैर जाट वह भी दलित। दोनो प्रदेश अध्यक्षों को बड़ी बेआबरू से पद छोड़ना पड़ा।
लोगों का कहना है कि सोनीपत से उनकी व रोहतक से उनके बेटे दीपेंद्र हूडा की करारी हार को अभी ज्यादा समय नही हुआ है। लोगो की माने तो सोनीपत व रोहतक में ही कुछ सीटों पर प्रभाव रखते हैं। हूडा गुट के उदयभान को ये ताज जरूर मिला है मगर वो उसको कैसे संभालेंगे ये आने वाला समय ही बताएगा।
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