India News(इंडिया न्यूज़), Chandramani Shukla, Chhattisgarh Election: लोकसभा चुनाव के लिए भले ही विपक्ष की ओर से I.N.D.I.A. गठबंधन तैयार किया गया हो लेकिन अभी की जो परिस्थितियां नजर आ रही हैं। उससे आपसी सामंजस्य का संकट गहराता जा रहा है। देश के सबसे बड़े सियासी सूबे उत्तर प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी कांग्रेस के सामने चुनौतियां पेश कर रहा है। इसी साल के अंत में होने वाले तीन महत्वपूर्ण राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में जहां पर कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला है। वहां सपा अपनी मौजूदगी दर्ज कराकर कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती है। यूपी और उत्तराखंड में हुए उपचुनाव के बाद से सपा और कांग्रेस के बीच बढ़ी तल्खी अब गंभीर होती दिख रही है।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव आने वाले 25 सितंबर को छत्तीसगढ़ जाने वाले हैं। जहां रायपुर में वह जनसभा को संबोधित करेंगे साथ ही राज्य स्तरीय कार्यकर्ताओं से मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति भी तैयार करेंगे। छत्तीसगढ़ विधानसभा को लेकर ऐसा माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना तैयार कर रही है। वहां के सपा कार्यकर्ताओं का ऐसा मानना है की गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए हुआ है। विधानसभा चुनाव में उनके करीब 40 प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे। इस तरह कहा जा सकता है कि अखिलेश यादव छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। हालांकि समाजवादी पार्टी ने 2018 के छत्तीसगढ़ चुनाव में 17 प्रत्याशी उतरे थे लेकिन एक भी प्रत्याशी जीत की दहलीज तक नहीं पहुंच सका था। अब जब 40 प्रत्याशी उतारने का दावा किया जा रहा तो इसे दबाव की राजनीति भी कह सकते हैं।
समाजवादी पार्टी छत्तीसगढ़ के साथ ही मध्य प्रदेश और राजस्थान को लेकर भी तैयारी कर रही है। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो छत्तीसगढ़ में समाजवादी पार्टी सबसे कमजोर है। सपा मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पिछले कई वर्षों से चुनाव लड़ती आ रही है। जहां छत्तीसगढ़ में उसे अभी तक निराशा ही हाथ लगी है। इसी को देखते हुए अखिलेश यादव ने यहां से ही प्रचार अभियान की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें है। जिसमें सर्वाधिक 52 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने 2003 में हुए चुनाव में लड़ा था उस समय पार्टी का वोट प्रतिशत करीब 1.57% रहा था। लेकिन अगर बात बीते 2018 के चुनाव की करें तो सपा ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जहां उसका वोट प्रतिशत एक का भी आंकड़ा नहीं छू पाया था।
समाजवादी पार्टी जहां छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व राजस्थान में अपने पांव पसारने की कोशिश कर रही है तो वहीं कांग्रेस को इन प्रदेशों से बड़ी उम्मीदें है। मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में जीत कर भी हारने के बाद कांग्रेस यह चाहती है कि फिर से यहां कोई ऐसी गलती ना हो जिससे उनके वोट कटें और करीबी मुकाबलों में उन्हें सीटों का नुकसान हो। इसी तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी जमी जमाई सत्ता को कांग्रेस पार्टी गवाना नहीं चाहती। राजनीतिक जानकर ऐसा मानते है कि इसी सियासी परिस्थिति को देखते हुए समाजवादी पार्टी भी सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। इस तरह लोकसभा चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी यह भी भांप लेना चाहती है कि कांग्रेस पार्टी भविष्य में कितना गठबंधन धर्म निभाएगी।
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