India News (इंडिया न्यूज), Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ की 20 सीटों पर आज लगभग 71 प्रतिशत मतदान हुआ है। 2013 में इन 20 सीटों के मतदान का औसत लगभग 74 प्रतिशत था। इस लिहाज से करीब 3 प्रतिशत वोटिंक कम हुई है। बस्तर के दुरस्थ और अंदरुनी क्षेत्रों में गए कुछ मतदान दल अभी जिला मुख्यालय नहीं लौटे हैं। ऐसे में आयोग के अफसरों के अनुसार आंकड़ा अभी थोड़ा और बढ़ सकता है। इससे मतदान का औसत भी बढ़ सकता है।
चुनाव आयोग की तरफ से आज देर शाम को जारी वोटिंग के आंकड़ों के अनुसार 20 में से 18 सीटों पर पिछले चुनावों की तुलना में मतदान कम हुआ है। इसके विपरीत दंतेवाड़ा में 2013 की अपेक्षा इस बार लगभग 13 प्रतिशत ज्यादा वोटिंग हुई है। पिछले चुनाव में वहां 55 प्रतिशत मतदान हुआ था।
इस बार यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 68 प्रतिशत तक पहुंच गया है। भानुप्रतापपुर में भी पिछले बार की अपेक्षा इस बार लगभग 4 प्रतिशत ज्यादा वोटिंग हुई है। पिछली बार वहां 75 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार यह आंकड़ा 79 प्रतिशत तक पहुंच गया है। पहले चरण की 20 सीटों में यह सबसे ज्यादा है।
बता दें कि 2013 में भाजपा बस्तर संभाग की एक मात्र दंतेवाड़ा सीट ही जीत पाई थी। इस सीट से विधायक चुने गए भीमा मंडावी की 2019 में नक्सली हमले में मौत हो गई थी। इसके बाद हुए उप चुनाव में कांग्रेस यह सीट जीत गई।
इस बार कांग्रेस ने दंतेवाड़ा सीट से महेंद्र कर्मा के पुत्र छविंद्र कर्मा को टिकट दिया है। 2019 में हुए उप चुनाव में इस सीट से महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा विधायक चुनी गई थीं। भाजपा ने चैतराम अटामी के रुप में नए चेहरे पर दांव खेला है।
बीजापुर और कोंटा विधानसभा सीट पर इस बार भी सबसे कम वोटिंग हुई है। बीजापुर में इस बार लगभग 41 प्रतिशत और कोंटा में लगभग 51 प्रतिशत मतदान हुआ है। बता दें कि यह दोनों सीट राज्य के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं। चुनाव आयोग की लिस्ट में दोनों सीट अति संवेदनशील की श्रेणी में है। इन दोनों सीटों पर पिछले चुनाव में क्रमश: 46 और लगभग 53 प्रतिशत मतदान हुआ था।
अविभाजित राजनांदगांव यानी राजनांदगांव, कबीरधाम, मोहला-मानपुर और खैरागढ़- छुईखदान जिला में राज्य निर्माण के बाद से अब तक हुए चुनावों में इस बार सबसे कम मतदान हुआ है। कबीरधाम जिला की दो सीटों पंडरिया और कवर्धा में इस बार क्रमश: 71 और 73 प्रतिशत मतदान हुआ है। यह अब तक का सबसे कम मतदान है।
दोनों सीटों पर 2013 में 76 और 82 प्रतिशत मतदान हुआ था। खैरागढ़- छुईखदान जिला की एक मात्र सीट खैरागढ़ में 76 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि पिछले दो चुनाव में वहां आंकड़ा 80 के पार था। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की सीट राजनांदगांव में 74 प्रतिशत मतदान हुआ है।
पहले चरण की 20 सीटों पर मतदान के साथ 223 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो गया है। इनमें एक पूर्व सीएम, 3 मौजूदा सरकार के मंत्री और 4 पूर्व मंत्री शामिल हैं। इनके साथ ही विधानसभा के उपाध्यक्ष और दो राष्ट्रीय पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष का भाग्य का फैसला भी इसी चरण में होना है। वहीं, एक पूर्व आईएएस और एक पूर्व आईपीएस भी चुनाव मैदान में हैं। मतगणना 3 दिसंबर को होगी।
पहले चरण की 20 सीटों की हाई प्रोफाइल सीटों में राजनांदगांव का नंबर पहले स्थान पर है। इस सीट से भाजपा की तरफ से डॉ. रमन सिंह प्रत्याशी हैं। राज्य के 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन इस सीट से लगातार तीसरी बार के विधायक हैं।
कांग्रेस ने इनके सामने गिरीश देवांगन को उतारा है। हाई प्रोफाइल सीटों में कवर्धा विधानसभा भी शामिल है। वजह यह है कि यहां कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और राज्य सरकार के मंत्री मोहम्मद अकबर चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने उनके सामने कट्टार हिंदुवादी चेहरा वाले विजय शर्मा को मैदान में उतारा है।
कोंडागांव सीट से मोहन मरकाम चुवान मैदान में हैं। मरकाम चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। उससे पहले वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। मरकाम का मुकाबला उनकी परंपरागत प्रतिद्वंद्वी लता उसेंडी है। लता भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।
इसी सीट से चुनाव जीतकर वे रमन सरकार में मंत्री बनी थीं। राज्य सरकार में मंत्री कवासी लखमा कोंटा सीट से चुनाव मैदान में हैं। लखमा इस सीट से 1998 से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं। भाजपा ने उनके सामने सोयम मुक्का के रुप में नए चेहरे को मैदान में उतारा है।
पहले चरण में जिन दो राष्ट्रीय पार्टियों के प्रदेश अध्यक्षों का राजनीतिक भविष्य कल ईवीएम में कैद होगा उनमें दीपक बैज और कोमल हुपेंडी शामिल हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज चित्रकोट सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 में भी वे इसी सीट से चुनाव जीते थे।
बस्तर लोकसभा सीट सीटने के बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी थी। अभी वे पीसीसी चीफ के साथ बस्तर सांसद भी हैं। हुपेंडी आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और भानुप्रतापुर से चनाव लड़ रहे हैं। हुपेंडी 2018 में भी इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। प्राप्त मतों के आधार पर तब वे तीसरे स्थान पर आए थे।
अखिल भारतीय सेवा से राजनीति में आए दो पूर्व अफसर भी बस्तर संभाग की दो सीटों से चुनाव मैदान में हैं। केशकल सीट से भाजपा की टिकट पर विधानसभा के मौजूदा उपाध्यक्ष को चुनौती दे रहे नीलकंठ टेकाम पूर्व आईएएस हैं। वीआरएस लेकर वे राजनीति के मैदान में उतरे हैं। इसी तरह भानुप्रतापुर सीट से भाग्य आजमा रहे अकबर राम कोर्राम सेवानिवृत्त आईपीएस हैं। कोर्राम हमर राज पार्टी की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। इससे पहले भानुप्रातपुर सीट पर हुए उप चुनाव में वे निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में मैदान में थे।
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