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India News (इंडिया न्यूज), Mukesh Chandrakar Murder Case: नए साल 2025 वाले दिन छत्तीसगढ़ में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या मामला में लगातार एक के बाद एक बड़े खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में SIT ने जानकारी देते हुए कहा है कि मुख्य आरोपी सड़क निर्माण ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने घटना से 4-5 दिन पहले हत्या की साजिश रची थी। पत्रकार ने उनके (सुरेश चंद्राकर) सड़क निर्माण कार्य में कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली खबर प्रकाशित की थी, जिसी वजह से आरोपी काफी नाराज था।
SIT की जांच के मुताबिक सुरेश चंद्राकर ने 27 दिसंबर को अपने बैंक खाते से बड़ी रकम निकाल ली थी। पत्रकार मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी को लापता हो गए थे और उनका शव 3 जनवरी को बीजापुर शहर के चट्टानपारा बस्ती में सुरेश चंद्राकर की संपत्ति के सेप्टिक टैंक में मिला था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी सुरेश चंद्राकर को 5 जनवरी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था और आरोपी के भाई रितेश चंद्राकर और दिनेश चंद्राकर और उनके साइट सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था।
SIT ने अपनी जांच में बताया कि आरोपी से पूछताछ में पता चला कि मुकेश चंद्राकर सुरेश चंद्राकर का रिश्तेदार था। उसने सुरेश चंद्राकर के सड़क निर्माण कार्य के खिलाफ खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए थे। खबर प्रकाशित करने से नाराज सुरेश ने 1 जनवरी, 2025 को इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। 4-5 पहले अपने भाइयों के साथ मिलकर साजिश रची थी। शेड के 17 कमरों में से कमरा नंबर 11 में रितेश और महेंद्र ने मुकेश पर लोहे की रॉड से हमला किया। इसके बाद शव को सेप्टिक टैंक में फेंक दिया, जिसे कंक्रीट की दीवार बनाकर ढक दिया गया।
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आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि दिनेश चंद्राकर घटना के बाद 1 जनवरी की रात को सुरेश चंद्राकर योजना के अनुसार सबूत छिपाने और आरोपियों को भागने में मदद करने के लिए आया था। SIT ने आगे कहा कि सुरेश चंद्राकर ने घटना के समय शहर से बाहर रहने की योजना बनाई थी ताकि किसी को उस पर शक न हो। पुलिस ने मामले में करीब 4 गाड़ियां, 1 मिक्सर मशीन, घटना में प्रयुक्त लोहे की छड़ और अन्य साक्ष्य जब्त किए हैं। आरोपियों ने घटना में प्रयुक्त लोहे की छड़ और अन्य साक्ष्य नेलसनार नदी के किनारे झाड़ियों में छिपा दिए थे।
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सबूतों को मिटाने के साथ आरोपियों ने 2 मोबाइल फोन बीजापुर से करीब 65 किलोमीटर दूर तुमनार नदी में ले गए और पुलिस को इसकी लोकेशन के बारे में गुमराह किया। SIT ने कहा कि वहां उन्होंने पत्थरों से मोबाइल फोन तोड़ दिए और नदी में फेंक दिए। गोताखोरों और अन्य तरीकों से तलाश की गई, लेकिन फोन अभी तक बरामद नहीं हुए हैं। जांच दल ने चारों आरोपियों को अलग-अलग रखकर 2 दिन और 2 रात तक उनके मोबाइल फोन की जांच की और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) के आधार पर उनसे पूछताछ की। पुलिस ने 50 से अधिक लोगों से पूछताछ की है और उनसे कुछ महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। SIT आरोपियों के रिश्तेदारों की संपत्तियों के बारे में जानकारी जुटा रही है।
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