India News (इंडिया न्यूज़), Chhattisgarh News: राष्ट्रपति भवन का नाम सुनते हि हमारे मन मे दिल्ली का खयाल आता हैं। लेकिन एक और राष्ट्रपति भवन है जी हाँ और वो है छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में ग्राम पंडो नगर में जहां भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी के स्मृति में बनाया गया है।
22 नवम्बर 1952 को भारत के प्रथम राष्टपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद का प्रवास अविभाजित मध्य प्रदेश (वर्तमान में छत्तीसगढ़) के सबसे दूरस्थ अंचल सरगुजा में हुआ था। यहां पंडो विशेष जाति जो उस समय जंगलों में रहा करते थे। उन्हे समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए, उनको राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र माना और उनको खेती के लिए जमीन के साथ मकान भी दिया। यही नहीं वो उनके साथ झोपड़ी में अलाव जलाकर रात भी गुजरी, उनके इस प्रेम से पंडों समाज इतना प्रभावित हुए की उनकी स्मृति में उस झोपड़ी को मकान में तब्दील कर उसका नाम राष्ट्रपति भवन रख दिया और आज भी पंडो समाज हर वर्ष 3 दिसम्बर को उनका जन्मदिन बहुत ही धूमधाम से मनाते है।
समय बीत गया पर आज तक राष्ट्रपति के दतक पुत्र अपने अधिकार से वंचित है। जमीन तो है पर उसका मालिकाना हक नहीं मिला है। इनके द्वारा कई बार उच्च अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री जनप्रतिनिधियों से अपने अधिकारों की मांग करते आ रहे, मगर मिल रहा तो सिर्फ आस्वासन।
ऐसा नहीं है कि सरकार इनके लिये कुछ नहीं करती सरकार ने इनके लिए पंडो प्रकोष्ठ के गठन किया है और इनके उथान के लिये कई योजना चला रही पर उन योजनाओं का क्रियान्वयन जमीन पर शून्य है
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