BA.4 and BA.5 Variants Stir Up The World : जानें, कितने खतरनाक हैं कोरोना के दो नए सब-वैरिएंट्स - India News
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BA.4 and BA.5 Variants Stir Up The World : जानें, कितने खतरनाक हैं कोरोना के दो नए सब-वैरिएंट्स

Suman Tiwari • LAST UPDATED : April 14, 2022, 12:35 pm IST
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BA.4 and BA.5 Variants Stir Up The World : जानें, कितने खतरनाक हैं कोरोना के दो नए सब-वैरिएंट्स

BA.4 and BA.5 Variants Stir Up The World

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
BA.4 and BA.5 Variants Stir Up The World :
दुनियाभर में कोरोना कब तक खत्म होगा यह कहना मुश्किल है। लेकिन उसके नित्य नए वैरिएंट जरूर सामने आते हैं। अभी हाल ही में कोरोना के (Coronavirus Omicron Variant) दो नए सब वैरिएंट बीए.4 और बीए.5 मिलने से दुनिया की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। ये दो नए सब-वैरिएंट ओमिक्रॉन से जुड़े हैं और डब्ल्यूएचओ इन पर नजर रख रहा है। तो आइए जानते है कोरोना के दो नए सब-वैरिएंट क्या हैं। ये कितने खतरनाक हैं। इससे भारत के लिए कितना खतरा है।

कोरोना के दो नए सब-वैरिएंट क्या हैं?

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  • वर्ल्ड हेल्थ आगेर्नाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वह बेहद संक्रामक माने जाने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट के दो नए सब-वैरिएंट बीए.4 और बीए.5 के कई दर्जन केस मिलने के बाद इन पर नजर रख रहा है। डब्ल्यूएचओ ये देख रहा है कि क्या ये नए सब-वैरिएंट पहले से मौजूद वैरिएंट्स से भी ज्यादा संक्रामक और घातक हैं।
  • डब्ल्यूएचओ पहले से ही ओमिक्रॉन के दो सब-वैरिएंट्स बीए.1 और बीए.2 को ट्रैक कर रहा है, जो अभी दुनिया में दो सबसे डोमिनेंट वैरिएंट हैं। अब उसने इस लिस्ट में ओमिक्रॉन के सिस्टर वैरिएंट्स माने जा रहे बीए.4 और बीए.5 को भी जोड़ लिया है। इनके अलावा वह पहले से ही ओमिक्रॉन के ही दो और सब-वैरिएंट्स बीए.1.1 और बीए.3 पर नजर रख रहा है।
  • साउथ अफ्रीका के सेंटर फॉर एपिडेमिक रेस्पॉन्स एंड इनोवेशन के डायरेक्टर टुलियो डि ओलिवेरा के अनुसार, नए सब-वैरिएंट्स बीए.4 और बीए.5 के स्पाइक प्रोटीन बीए.2 जैसे ही हैं। हालांकि इन दोनों नए सब-वैरिएंट्स में ज्यादा म्यूटेशन हुए हैं। ओलिवेरा का कहना है कि इन दोनों नए सब-वैरिएंट्स में पाए गए कुछ स्पाइक प्रोटीन कोरोना के डेल्टा, कप्पा और एपसिलन वैरिएंट्स में पाए गए स्पाइक प्रोटीन जैसे हैं।

कितनी तेजी से फैलते हैं दोनों नए सब-वैरिएंट्स?

  • डब्ल्यूएचओ का कहना है कि उसने कोरोना के दो नए सब-वैरिएंट्स पर नजर रखना इसलिए शुरू किया। क्योंकि इनमें अतिरिक्त म्यूटेशन थे। ऐसे में इनकी इम्यूनिटी से बच निकलने की क्षमता को जानने के लिए और स्टडी करने की जरूरत है। (coronavirus omicron variant symptoms)
  • दरअसल, वायरस हर समय म्यूटेट करते हैं यानी खुद में बदलाव करते रहते हैं। लेकिन कुछ म्यूटेशन ऐसे होते हैं, जो उनकी फैलने की क्षमता या वैक्सीन से या पहले हो चुके इंफेक्शन से पैदा हुई इम्यूनिटी को चकमा देने में सक्षम होते हैं। इन वैरिएंट्स पर नजर रखने से ये भी पता चल जाता है कि वे कितने घातक हैं यानी उनसे कितनी गंभीर बीमारी होने का खतरा है।

दुनिया में कहां-कहां मिले सब-वैरिएंट्स केस

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  • डब्ल्यूएचओ अनुसार, वायरस पर नजर रखने वाले ग्लोबल (सभी इन्फ्लूएंजा डेटा साझा करने पर वैश्विक पहल) डेटाबेस में बीए.4 और बीए.5 के कुछ केस रिपोर्ट हुए हैं। हाल ही में यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी ने कहा कि बीए.4 के केस 10 जनवरी से 30 मार्च के बीच साउथ अफ्रीका, डेनमार्क, बोत्सवाना, स्कॉटलैंड और इंग्लैंड में पाए गए हैं।
  • वहीं बीए.5 के सभी केस साउथ अफ्रीका में पाए गए थे। हालांकि सोमवार को बोत्सवाना के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उनके यहां बीए.4 और बीए.5 के चार केस पाए गए हैं। बोत्सवाना में पाए गए बीए.4 और बीए.5 के सभी केस 30 से 50 साल की उम्र के लोगों में पाए गए हैं। खास बात ये है कि ये सभी पूरी तरह वैक्सीनेटेड थे और उनमें हल्के लक्षण थे।

कितने घातक हैं सब-वैरिएंट्स

  • बताया जा रहा है इन दोनों सब-वैरिएंट्स के संक्रमितों में हल्के लक्षण मिले हैं। लेकिन इनसे संक्रमित होने वाले ज्यादातर लोग वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके थे। अभी तक इन दोनों सब-वैरिएंट्स के केसेज बहुत तेजी से बढ़ने की जानकारी नहीं है। इन दोनों सब-वैरिएंट्स से अभी तक किसी की मौत की सूचना नहीं है।
    एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन दोनों नए सब-वैरिएंट्स के कम घातक होने की संभावना है, लेकिन इनसे बचाव के लिए लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन जरूर करना चाहिए। वहीं एक्सपर्ट्स के लिए ये कहना जल्दबाजी होगी कि इन दोनों नए सब-वैरिएंट्स के म्यूटेशन का कोरोना महामारी पर कैसा प्रभाव पड़ेगा।

सब-वैरिएंट्स से भारत को कितना खतरा?

  • भारत में तीसरी लहर खत्म हो चुकी है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से देश के कई राज्यों में कोरोना केस बढ़ने की खबरें हैं। भारत में 13 अप्रैल को पिछले 24 घंटे के दौरान 1,088 नए केस दर्ज हुए। वहीं 12 अप्रैल को पिछले 24 घंटे के दौरान 796 केस दर्ज हुए थे।
  • देश के 5 राज्यों-दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र और मिजोरम में कोरोना की पॉजिटिविटी रेट बढ़ने को लेकर केंद्र ने इन राज्यों की सरकारों को पत्र लिखा है। दिल्ली में 4 से 10 अप्रैल के बीच कोरोना केसेज पिछले हफ्ते के मुकाबले 26 फीसदी, हरियाणा में इस दौरान 50फीसदी, गुजरात में 89फीसदी से ज्यादा बढ़े।
  • वहीं दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में दो स्कूलों में 5 बच्चे और नोएडा के एक स्कूल में 13 बच्चे और तीन टीचर कोरोना पॉजिटिव पाए गए। यानी भारत में एक्सई वैरिएंट हो या अब ओमिक्रॉन के नए पाए गए दो सब-वैरिएंट्स बीए.4 और बीए.5, इन सभी के फैलने का खतरा बरकरार है।
  • तीसरी लहर के दौरान भारत में ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट बीए.2 डोमिनेंट वैरिएंट था और ज्यादातर केसेज उसी के थे। भारत ने दो साल बाद 27 मार्च से इंटरनेशनल फ्लाइट्स का फुल आॅपरेशन शुरू कर दिया था। अब पहले की तरह ही दुनिया भर से फ्लाइट्स का आना-जाना हो रहा है।
  • ऐसे में भारत में विदेशों से भी कोरोना के नए वैरिएंट्स आने का खतरा रहेगा। भारत में ऐसे लोगों की संख्या करोड़ों में है, जिन्हें वैक्सीन लगवाए 6 माह से ज्यादा हो चुके हैं। एक्सपर्ट्स अनुसार वैक्सीन से बनी इम्यूनिटी अधिकतम 6 महीने तक ही रहती हैं। यानी देश के इन करोड़ों लोगों के किसी भी नए वैरिएंट से संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा है।

दुनिया में ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट बीए.2 या स्टेल्थ ओमिक्रॉन है डोमिनेंट

  • दुनिया के कई देशों में नई कोरोना लहर की वजह बने वैरिएंट आॅफ कंसर्न ओमिक्रॉन के दो सब-वैरिएंट बीए.1 और बीए.2 सबसे ज्यादा प्रभावी हैं। शुरू में बीए.1 सब-वैरिएंट डोमिनेंट था, लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान बीए.2 या स्टेल्थ ओमिक्रॉन दुनिया भर में तेजी से फैला है। पिछले कुछ महीनों में दुनिया में आए 94 फीसदी कोरोना केस के लिए बीए.2 या स्टेल्थ ओमिक्रॉन जिम्मेदार है।
  • बीए.2 को बीए.1 से कहीं ज्यादा संक्रामक माना जाता है। बीए.2 की वजह से ही चीन समेत कई यूरोपीय देशों में हाल के दिनों में कोरोना केसेज तेजी से बढ़े हैं। दरअसल बीए.2 को स्टेल्थ ओमिक्रॉन भी कहा जाता है। क्योंकि अपने एच-प्रोटीन में यूनीक म्यूटेशन की वजह से इसे कोरोना टेस्ट में पकड़ पाना मुश्किल होता है।

बचाव का तरीका क्या है?

कोरोना के हर वैरिएंट से बचाव करने के लिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है। अपने मुंह और नाक का ढंकने वाला मास्क जरूर पहनें। दूसरो से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हुए कम से कम एक मीटर की दूरी रखें। भीड़भाड़ वाली जगहों और खराब वैंटिलेशन वाली जगहों पर जानें से बचना चाहिए। घर में या किसी भी इंडोर जगह में भी पर्याप्त वेंटिलेशन का पूरा ख्याल रखें। हाथों को साबुन से नियमित रूप से धोएं, जब हाथ न धो सकें तो सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। वैक्सीन की दोनों डोज लगवाएं। दूसरी डोज लगवाने के नौ माह बाद बूस्टर डोज भी लगवाएं।

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