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Delhi Crime Branch Crackdown Fake Sticker Racket: दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को एक बड़ी सफलता मिली है, उसने राजधानी में काम करने वाले दो बड़े संगठित अपराध सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने बताया कि दोनों सिंडिकेट अलग-अलग तरीकों से काम करते थे, लेकिन उनके कम्युनिकेशन चैनल और फाइनेंशियल पैटर्न आपस में जुड़े हुए थे. इन सिंडिकेट से जुड़े पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है, और दो अन्य अभी भी फरार हैं.
क्या है पूरा मामला?
एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, पहले सिंडिकेट का मुखिया राजकुमार उर्फ राजू मीना था, जिसके खिलाफ महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) के तहत मामला दर्ज किया गया है. यह नेटवर्क जानबूझकर ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को निशाना बनाता था. ड्राइवरों को जानबूझकर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने के लिए भेजा जाता था, उनके कामों को जासूसी कैमरों से रिकॉर्ड किया जाता था, और फिर एडिट किए गए वीडियो का इस्तेमाल पुलिस अधिकारियों को ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता था.
पुलिस जांच में पता चला कि राजकुमार 2015 से यह जबरन वसूली रैकेट चला रहा था. उसने कई साथियों को भर्ती किया था. इस बीच, जीशान अली के नेटवर्क ने राजधानी के ट्रांसपोर्ट रूट पर एक समानांतर सिस्टम स्थापित किया था. वह हजारों स्टिकर बनाता और बेचता था जो कमर्शियल गाड़ियों को प्रतिबंधित घंटों के दौरान शहर में चलने की अनुमति देते थे.
🚨🔥 ARSC, CRIME BRANCH, DELHI STRIKES HARD! 🔥🚨
🎯 Two Major Organised Crime Syndicates BUSTED!
💰 Crime syndicate involved in extortion & blackmail against transporters and Traffic Police exposed
🚛❌ Illegal No-Entry Marka/Stickers racket smashed📦 1200+ Marka/Stickers… pic.twitter.com/M0KK5ImtMC
— Crime Branch Delhi Police (@CrimeBranchDP) December 10, 2025
स्टिकर का करते थे इस्तेमाल
स्टिकर पर डिजाइन, रंग और फोन नंबर हर महीने बदले जाते थे. ड्राइवरों को निर्देश दिया गया था कि वे अपनी अथॉरिटी दिखाने और पुलिस की जांच से बचने के लिए स्टिकर का इस्तेमाल करें. गिरफ्तार संदिग्धों में चंदन कुमार चौधरी, दिलीप कुमार और दीना नाथ चौधरी शामिल हैं. चंदन फील्ड में स्टिकर बांटने और फाइनेंशियल लेनदेन का काम संभालता था. दिलीप पुलिस की गतिविधियों के बारे में रियल-टाइम अपडेट देता था.
ड्राइवरों के लिए चलाता था अलग सोशल मीडिया ग्रुप
दीना नाथ ड्राइवरों के लिए एक अलग सोशल मीडिया ग्रुप चलाता था और हर महीने 150 से 200 स्टिकर बेचता था. जीशान के ठिकानों पर छापे के दौरान, पुलिस ने लगभग 1200 से 1300 स्टिकर, दो रबर स्टैंप, एक लाइसेंसी वेबली पिस्टल, पांच जिंदा कारतूस, एक SUV, एक जासूसी कैमरा, एक कंप्यूटर और कई मोबाइल फोन बरामद किए. ये घटनाएं सिंडिकेट की संगठित संरचना की पुष्टि करती हैं.
कब आया मामला सामने?
यह मामला तब सामने आया जब एक LGV ड्राइवर ने बदरपुर में ट्रैफिक स्टॉप से बचने के लिए नकली स्टिकर का इस्तेमाल करने की कोशिश की. एक सोशल मीडिया ग्रुप की जांच से एक पूरे सिंडिकेट का पता चला जो हर गाड़ी मालिक से हर महीने ₹2,000 से ₹5,000 की जबरन वसूली कर रहा था। इसके अलावा, एक समानांतर योजना भी चल रही थी, जिसमें ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों से पैसे वसूलने के लिए उनके खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज करना शामिल था.