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India News (इंडिया न्यूज़), Delhi (Amendment) Bill 2023: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा में पारित होने के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने बयान में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने जिस अंदाज में सदन में न सिर्फ दिल्ली बिल पर बात की बल्कि विपक्ष द्वारा बनाए गए भ्रम के माहौल को भी तोड़ा और तथ्य भी पेश किए…विपक्ष में सन्नाटा छा गया। वे कुछ भी उत्तर नहीं दे सके क्योंकि उनके पास कोई उत्तर नहीं था। सच एक बार फिर देश के सामने आया।
#WATCH केंद्रीय गृह मंत्री ने जिस अंदाज में सदन में न सिर्फ दिल्ली बिल पर बात की बल्कि विपक्ष द्वारा बनाए गए भ्रम के माहौल को भी तोड़ा और तथ्य भी पेश किए…विपक्ष में सन्नाटा छा गया। वे कुछ भी उत्तर नहीं दे सके क्योंकि उनके पास कोई उत्तर नहीं था। सच एक बार फिर देश के सामने आया:… https://t.co/vNqUKU85W8 pic.twitter.com/Ivowf0ST7S
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 3, 2023
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि I.N.D.I.A के गठबंधन के बाद भी पीएम मोदी पूर्ण बहुमत के साथ फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे… सभी बिल महत्वपूर्ण हैं और आपको सदन में उपस्थित रहना चाहिए था। इस (दिल्ली सेवा विधेयक) विधेयक के पारित होने के बाद गठबंधन टूट जाएगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 की चर्चा पर लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है। शाह ने कहा,”पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी, राजेंद्र प्रसाद और डॉ. अंबेडकर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के विरोध में थे।”
गौरतलब है 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला देकर ये साफ कर दिया कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल है और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर भी अधिकार भी उसी का है। प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, दिल्ली की पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र का अधिकार है, लेकिन बाकी सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी।ऐसे में केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई , जिसके तहत अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को वापस मिल गया।
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