India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Bulldozer Action in Delhi: दिल्ली के रजोकरी इलाके की दो कॉलोनियों के लोगों ने बुलडोजर की कार्रवाई के डर से अपने घरों से निकलना बंद कर दिया है। कई घरों में चूल्हे नहीं जल रहे हैं और बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है। ऐसा तब है जब उनके पास दिल्ली सरकार का प्रमाण पत्र है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली सरकार के वन विभाग ने उन्हें घर खाली करने का नोटिस थमा दिया है।
अब बुलडोजर की कार्रवाई का खतरा मंडरा रहा है, इसलिए मजदूरी और छोटे-मोटे काम करके अपना परिवार चलाने वाले लोगों ने काम पर जाना बंद कर दिया है। लोगों को प्रमाण पत्र, टोकन और पहचान पत्र मिले हैं, जो दिल्ली की अलग-अलग सरकारों ने दिए हैं। यह प्रमाण पत्र मुख्यमंत्री केजरीवाल की फोटो के साथ दिया गया है, लेकिन केजरीवाल सरकार के वन विभाग ने अब कहा है कि उन्होंने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है और उन्हें अपने घर छोड़कर यहां से जाना होगा। यहां के लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और उन्हें आश्वासन मिला है कि 23 अगस्त तक कोई तोड़फोड़ नहीं होगी। ऐसे में अब उनकी पूरी उम्मीद कोर्ट के फैसले पर टिकी है।
रामदेव के डेरे में 80 और चमेली के डेरे में 125 घरों को नोटिस दिया गया है। साठ के दशक से लेकर 1993 तक यह खनन क्षेत्र था, यहां बड़े-बड़े पत्थरों को कुल्हाड़ी से काटा जाता था और क्रशर मशीन से उन्हें तोड़ा जाता था। बड़ी संख्या में अलग-अलग राज्यों से आए मजदूरों को यहां बसाया गया और रोजगार दिया गया। इतने सालों में आज तक उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला। बल्कि समय-समय पर सरकारों ने उन्हें उनकी जमीन पर स्थायी अधिकार देने की बात कही और उन्हें टोकन, पट्टे और प्रमाण पत्र भी दिए। चमेली के डेरे से लेकर आज तक टुनटुन कुमार कॉलोनी के बसने की कहानी बताते हुए वे कहते हैं कि घर खोने के साथ ही उन्हें इस बात का भी दुख है कि गरीब लोगों को अवैध कब्जाधारी करार दिया जा रहा है, जबकि यह जमीन उन्हें दी गई थी।
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