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नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बड़े शहरों में रहने वाले लोगों के टैलेंट पर एकाधिकार नहीं है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उड़ीसा के 10 जिलों में वर्चुअल हाईकोर्ट का ऑनलाइन उद्घाटन करते हुए कहा कि टैलेंट की कोई बाउंड्री नहीं है और इस पर किसी का एकाधिकार भी नहीं है। सीजेआई ने उड़ीसा के चीफ जस्टिस डॅा. एस मुरलीधर की तारीफ भी की। डॅा. मुरलीधर की तारीफ में सीजेआई ने कहा कि वर्चुअल हाईकोर्ट की मदद से नए लॉयर्स को अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिलेगा।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बहुत से ऐसे वकील हैं जो दूर दराज के इलाकों में रहते हैं और उनके अंदर टैलेंट की कमी नहीं है। उनमें से कई संसाधन के अभाव में अपना टैलेंट नहीं दिखा पाते हैं या हाईकोर्ट में अभ्यास का मौका नहीं मिलता है। उन्हें सेल्फ डेवलपमेंट से वंचित नहीं रखा जा सकता है। सभी वकीलों को टैलेंट दिखाने का मौका दिया जाना चाहिए।
For court, there aren't big or small cases every matter is important because it's in small matters involving grievances of citizens that issues of constitutional & jurisprudential importance emerge. In attending such grievances court performs plain constitutional obligations: CJI pic.twitter.com/Beda3IXlAY
— ANI (@ANI) February 4, 2023
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने बताया कि जब कोरोना काल में सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल हियरिंग फैसिलिटी शुरू की गई थी, तब मैंने नोटिस किया कि देश के कोने से युवा और टैलेंटेड वकील हमारे सामने पेश होने लगे थे। उन्होंने बताया कि उन्होंने नोटिस किया कि वर्चुअल हियरिंग में पहले के मुकाबले ज्यादा संख्या में महिला वकील सुनवाई में शामिल होने लगीं। यह उनके लिए ज्यादा आरामदायक भरा था क्योंकि कई बार तमाम व्यवस्थाओं की वजह से वो फिजिकल तौर पर उपस्थित नहीं हो पा रही थी।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उदाहरण देते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को तमाम भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने की शुरुआत की गई है। हमारे पास ऐसे टूल्स उपलब्ध हैं जिसके जरिए सारी चीजें आसान तरीके से हो जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के जो निर्णय अग्रेंजी में होते थे। उन्हें दूसरी भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेट करना शुरु कर दिया गया है।
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