संबंधित खबरें
'सांसद होकर दंगे के लिए….' संभल हिंसा पर भड़के नरसिंहानंद सरस्वती, सांसद जियाउर्रहमान को दी गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी!
गूगल मैप्स के सहारे कार में सफर कर रहे थे 3 लोग, अधूरे फ्लाईओवर में जा घुसी गाड़ी, फिर जो हुआ…सुनकर मुंह को आ जाएगा कलेजा
‘ये मुगलों का दौर नहीं…’, संभल जामा मस्जिद सर्वे पर ये क्या बोल गए BJP प्रवक्ता? सुनकर तिलमिला उठे मुस्लिम
शरद पवार, प्रियंका चतुर्वेदी और संजय राउत का क्या होगा राजनीतिक भविष्य? दोबारा राज्यसभा जाने के रास्ते हुए बंद
60 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी फिर भी कैसे जीत गई BJP? सपा उम्मीदवार की जमानत हो गई जब्त, अखिलेश नोंचने लगे अपना माथा
बाला साहेब की विरासत को मिट्टी में मिला गए उद्धव ठाकरे, कांग्रेस-एनसीपी से गठबंधन पर अपनी हिंदूवादी विचारधारा को लगाया दांव पर, क्या अब कर पाएंगे वापसी?
India News (इंडिया न्यूज़),नई दिल्ली, Delhi News: केंद्र ने 11 मई की संविधान पीठ के फैसले की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां शीर्ष अदालत ने कहा था कि दिल्ली सरकार के पास राष्ट्रीय राजधानी में “सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्ति” है। केंद्र राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए कल एक अध्यादेश लाई, जिसके पास दिल्ली में सेवा करने वाले DANICS के सभी अधिकारियों और ग्रुप ए अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग की सिफारिश करने की शक्ति होगी।
केंद्र ने 11 मई की संविधान पीठ के फैसले की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां शीर्ष अदालत ने कहा था कि दिल्ली सरकार के पास राष्ट्रीय राजधानी में "सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्ति" है।
केंद्र राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए कल एक अध्यादेश लाई,… pic.twitter.com/wKOw4EejEY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 20, 2023
राजधानी में आला अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया था। लेकिन एक बार फिर स्थिती बदल गई है। आधी रात केंद्र सरकार का एक अध्यादेश आया जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए सिविल सर्विस अथॉरिटी बनेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री इस अथॉरिटी के चेयरमैन होंगे। अथॉरिटी में फैसले बहुमत के आधार पर होंगे। अगर उपराज्यपाल इस अथॉरिटी के फैसले से सहमत नहीं होते हैं तो वह इन फैसलों को पुनर्विचार के लिए दोबारा अथॉरिटी को भेज सकेंगे। इस तरह से देखें तो दिल्ली में उपराज्यपाल की ही चलेगी।
गौरतलब है इससे पहले 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में अहम फैसला सुनाया था। CJI चंद्रचूड़ की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था “एलजी के पास दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते। एलजी की शक्तियां उन्हें दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देती। अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा। चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए। उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी। पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा।”
ये भी पढ़ें – RBI on 2000 Rupee Note: जानें क्यों लिए जा रहे हैं 2,000 रुपये के नोट वापस, ऐसे वापस कर सकते हैं नोट
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.