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India News (इंडिया न्यूज़), Delhi News, नई दिल्ली: दिल्ली में आला अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर जारी अध्यादेश को लेकर दिल्ली सरकार की परेशानिया एक बार फिर बढ़ गई हैं। राजधानी में आला अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया था। इसके बाद केंद्र के द्वारा इसे लेकर अध्यादेश जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए सिविल सर्विस अथॉरिटी बनेगी। जिसके बाद दिल्ली सरकार और विपक्ष के द्वारा इस फैसले की जमकर आलोचना की जा रही है। केंद्र के अध्यादेश पर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी का भी बड़ा बयान सामने आया है। मिनाक्षी का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार का नियंत्रण अपने हाथ में रखना चाहते हैं।
दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए केंद्र के अध्यादेश पर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा “दिल्ली के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार का नियंत्रण अपने हाथ में रखना चाहते हैं। यही कारण है कि जैसे ही यह नियम बदला तो जो अधिकारी जांच में लगे थे उनको तत्काल हटाने का प्रयास किया गया… अगर आप पंग व्यवस्था को अपंग बनाएंगे तो उसको सुधारने के तरीके केंद्र और राष्ट्रपति के पास हैं।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार का नियंत्रण अपने हाथ में रखना चाहते हैं। यही कारण है कि जैसे ही यह नियम बदला तो जो अधिकारी जांच में लगे थे उनको तत्काल हटाने का प्रयास किया गया… अगर आप पंग व्यवस्था को अपंग बनाएंगे तो उसको सुधारने के तरीके केंद्र और राष्ट्रपति के पास हैं: दिल्ली… pic.twitter.com/ZyrmrnGJAm
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 21, 2023
राजधानी में आला अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया था। इसके बाद केंद्र के द्वारा इसे लेकर अध्यादेश जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए सिविल सर्विस अथॉरिटी बनेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री इस अथॉरिटी के चेयरमैन होंगे। अथॉरिटी में फैसले बहुमत के आधार पर होंगे। अगर उपराज्यपाल इस अथॉरिटी के फैसले से सहमत नहीं होते हैं तो वह इन फैसलों को पुनर्विचार के लिए दोबारा अथॉरिटी को भेज सकेंगे। इस तरह से देखें तो दिल्ली में उपराज्यपाल की ही चलेगी।
गौरतलब है इससे पहले 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में अहम फैसला सुनाया था। CJI चंद्रचूड़ की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था “एलजी के पास दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते। एलजी की शक्तियां उन्हें दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देती। अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा। चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए। उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी। पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा।”
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