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क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला द्वारा एक पुरुष के खिलाफ लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों को यह कह कर खारिज कर दिया कि महिला के संबंध पुरुष के साथ सहमति से थे। जो उसकी शादी से पहले, उसकी शादी के के दौरान और तलाक के बाद भी यह सब जारी रहा। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने उस व्यक्ति की याचिका पर फैसला सुनाया जिसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था जहां अदालत ने उसके खिलाफ दायर आरोप पत्र को खारिज करने से इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा कि शिकायत में प्राथमिकी या चार्जशीट में धारा 376 आईपीसी (दुष्कर्म) के तहत अपराध के तथ्यों को खोजना असंभव है।
कोर्ट ने उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले और 24 मई, 2018 के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसके खिलाफ आरोप पत्र पर ध्यान दिया है। फैसले को लिखने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जिस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार किया जाना चाहिए वह यह है कि क्या आरोपों से संकेत मिलता है कि अपीलकर्ता ने महिला से शादी करने का वादा किया था। एफआईआर और चार्जशीट में आरोपों को देखते हुए धारा 375 आईपीसी के तहत अपराध के महत्वपूर्ण तत्व उपसथित नही हैं। दोनों के बीच संबंध विशुद्ध रूप से सहमति के थे। प्रतिवादी की शादी से पहले और शादी की अवधि के दौरान संबंध जारी रहे थे।
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